इस अध्याय के माध्यम से हम जानेंगे रविंद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) से जुड़े महत्वपूर्ण एवं रोचक तथ्य जैसे उनकी व्यक्तिगत जानकारी, शिक्षा तथा करियर, उपलब्धि तथा सम्मानित पुरस्कार और भी अन्य जानकारियाँ। इस विषय में दिए गए रविंद्रनाथ टैगोर से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को एकत्रित किया गया है जिसे पढ़कर आपको प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में मदद मिलेगी। Rabindranath Tagore Biography and Interesting Facts in Hindi.

रविंद्रनाथ टैगोर का संक्षिप्त सामान्य ज्ञान

नामरविंद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore)
जन्म की तारीख07 मई
जन्म स्थानकोलकाता, भारत
निधन तिथि07 अगस्त
माता व पिता का नामशारदा देवी / देवेन्द्रनाथ टैगोर
उपलब्धि1913 - नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रथम भारतीय व्यक्ति
पेशा / देशपुरुष / कवि / भारत

रविंद्रनाथ टैगोर - नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रथम भारतीय व्यक्ति (1913)

रविंद्रनाथ टैगोर एक विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार और दार्शनिक थे। वे अकेले ऐसे भारतीय साहित्यकार हैं जिन्हें नोबेल पुरस्कार मिला है। 16 साल की उम्र में ‘भानुसिम्हा"" उपनाम से उनकी कवितायेँ प्रकाशित भी हो गयीं। वह घोर राष्ट्रवादी थे और ब्रिटिश राज की भर्त्सना करते हुए देश की आजादी की मांग की। जलिआंवाला बाग हत्याकांड के बाद उन्होंने अंग्रेजों द्वारा दी गयी “नाइटहुड की उपाधि” को भी त्याग दिया था।

रविंद्रनाथ टैगोर का जन्म 07 मई 1861 को कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में हुआ था| रविंद्रनाथ टैगोर को ‘गुरुदेव"" के नाम से भी जाना जाता है। इनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर और माता का नाम शारदा देवी था। इनके पिता यात्रा करने बहुत व्यापक थे| इनकी माता का निधन उनके बचपन में ही हो गया था। जिसके कारण इनका लालन-पालन अधिकांशतः नौकरों द्वारा ही किया गया था।
रविंद्रनाथ टैगोर की मृत्यु लम्बी बीमारी के बाद 07 अगस्त 1941 को हुई ।
रबीन्द्रनाथ ठाकुर की आरम्भिक शिक्षा प्रतिष्ठित सेंट जेवियर स्कूल में हुई। उन्होंने बैरिस्टर बनने की इच्छा में 1878 में इंग्लैंड के ब्रिजटोन में पब्लिक स्कूल में नाम लिखाया फिर लन्दन विश्वविद्यालय में कानून का अध्ययन किया लेकिन 1880 में बिना डिग्री प्राप्त किए ही स्वदेश वापस लौट आए। सन् 1883 में मृणालिनी देवी के साथ उनका विवाह हुआ।

रविंद्रनाथ टैगोर ने मात्र 8 साल की उम्र में अपनी पहली कविता लिखी थी और वर्ष 1877 में 16 साल की उम्र में ‘भानुसिम्हा"" उपनाम से उनकी लघुकथा प्रकाशित हुई। टैगोर ने बांग्ला साहित्य में नए गद्य और छंद तथा लोकभाषा के उपयोग की शुरुआत की और इस प्रकार शास्त्रीय संस्कृत पर आधारित पारंपरिक प्रारूपों से उसे मुक्ति दिलाई। धर्म सुधारक देवेन्द्रनाथ टैगोर के पुत्र रबींद्रनाथ ने बहुत कम आयु में काव्य लेखन प्रारंभ कर दिया था। 1870 के दशक के उत्तरार्ध में वह इंग्लैंड में अध्ययन अधूरा छोड़कर भारत वापस लौट आए। भारत में रबींद्रनाथ टैगोर ने 1880 के दशक में कविताओं की अनेक पुस्तकें प्रकाशित की तथा मानसी (1890) की रचना की। यह संग्रह उनकी प्रतिभा की परिपक्वता का परिचायक है। इसमें उनकी कुछ सर्वश्रेष्ठ कविताएँ शामिल हैं, जिनमें से कई बांग्ला भाषा में अपरिचित नई पद्य शैलियों में हैं। साथ ही इसमें समसामयिक बंगालियों पर कुछ सामाजिक और राजनीतिक व्यंग्य भी हैं। दो-दो राष्ट्रगानों के रचयिता रवीन्द्रनाथ टैगोर के पारंपरिक ढांचे के लेखक नहीं थे। वे एकमात्र कवि हैं, जिनकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं- भारत का राष्ट्र-गान जन गण मन और बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान आमार सोनार बांग्ला गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं। वे वैश्विक समानता और एकांतिकता के पक्षधर थे।

ब्रह्मसमाजी होने के बावज़ूद उनका दर्शन एक अकेले व्यक्ति को समर्पित रहा। चाहे उनकी ज़्यादातर रचनाएँ बांग्ला में लिखी हुई हों। वह एक ऐसे लोक कवि थे जिनका केन्द्रीय तत्त्व अंतिम आदमी की भावनाओं का परिष्कार करना था।1901 में टैगोर ने पश्चिम बंगाल के ग्रामीण क्षेत्र में स्थित शांतिनिकेतन में एक प्रायोगिक विद्यालय की स्थापना की। जहाँ उन्होंने भारत और पश्चिमी परंपराओं के सर्वश्रेष्ठ को मिलाने का प्रयास किया। वह विद्यालय में ही स्थायी रूप से रहने लगे और 1921 में यह विश्व भारती विश्वविद्यालय बन गया। 1902 तथा 1907 के बीच उनकी पत्नी तथा दो बच्चों की मृत्यु से उपजा गहरा दु:ख उनकी बाद की कविताओं में परिलक्षित होता है, जो पश्चिमी जगत् में गीतांजलि, साँग ऑफ़रिंग्स (1912) के रूप में पहुँचा। शांति निकेतन में उनका जो सम्मान समारोह हुआ था उसका सचित्र समाचार भी कुछ ब्रिटिश समाचार पत्रों में छपा था। 1908 में कोलकाता में हुए कांग्रेस अधिवेशन के सभापति और बाद में ब्रिटेन के प्रथम लेबर प्रधानमंत्री रेम्जे मेक्डोनाल्ड 1914 में एक दिन के लिए शांति निकेतन गए थे। उन्होंने शांति निकेतन के संबंध में पार्लियामेंट के एक लेबर सदस्य के रूप में जो कुछ कहा वह भी ब्रिटिश समाचार पत्रों में छपा। उन्होंने शांति निकेतन के संबंध में सरकारी नीति की भर्त्सना करते हुए इस बात पर चिंता व्यक्त की थी कि शांति निकेतन को सरकारी सहायता मिलना बंद हो गई है। पुलिस की ब्लेक लिस्ट में उसका नाम आ गया है और वहाँ पढ़ने वाले छात्रों के माता-पिता को धमकी भरे पत्र मिल रहे हैं। पर ब्रिटिश समाचार पत्र बराबर रवीन्द्रनाथ ठाकुर के इस प्रकार प्रशंसक नहीं रहे।


उपन्यास : सोनार तरी(1894), चित्रा (1896), चैतालि, गीतांजलि (1910), बलाका (1916), पूरबी (1925), महुया, कल्पना (1900), क्षणिका (1900), बलाका (1915), पुनश्च (1932), पत्रपुट (1936), सेँजुति (1938), भग्न हृदय, गीतिकाब्य कविताएं : बौ-ठाकुराणीर हाट (1883), राजर्षि (1887), चोखेर बालि (1903), नौकाडुबि (1906), प्रजापतिर निर्बन्ध (1908), गोरा (1910), घरे बाइरे (1916), चतुरंग (1916), योगायोग (1929), शेषेर कबिता (1929), मालंच (1934), चार अध्याय (1934)
उनकी काव्यरचना गीतांजलि के लिये उन्हे सन् 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला। सन् 1915 में उन्हें राजा जॉर्ज पंचम ने नाइटहुड की पदवी से सम्मानित किया जिसे उन्होंने सन् 1919 में जलियाँवाला बाग हत्याकांड के विरोध में वापस कर दिया था।

रविंद्रनाथ टैगोर प्रश्नोत्तर (FAQs):

रविंद्रनाथ टैगोर का जन्म 07 मई 1861 को कोलकाता, भारत में हुआ था।

रविंद्रनाथ टैगोर को 1913 में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रथम भारतीय व्यक्ति के रूप में जाना जाता है।

रविंद्रनाथ टैगोर की मृत्यु 07 अगस्त 1941 को हुई थी।

रविंद्रनाथ टैगोर के पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर था।

रविंद्रनाथ टैगोर की माता का नाम शारदा देवी था।

  Last update :  Tue 28 Jun 2022
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