इस अध्याय के माध्यम से हम जानेंगे डॉ. रामविलास शर्मा (Ram Vilas Sharma) से जुड़े महत्वपूर्ण एवं रोचक तथ्य जैसे उनकी व्यक्तिगत जानकारी, शिक्षा तथा करियर, उपलब्धि तथा सम्मानित पुरस्कार और भी अन्य जानकारियाँ। इस विषय में दिए गए डॉ. रामविलास शर्मा से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को एकत्रित किया गया है जिसे पढ़कर आपको प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में मदद मिलेगी। Ram Vilas Sharma Biography and Interesting Facts in Hindi.
डॉ. रामविलास शर्मा के बारे में संक्षिप्त जानकारी
नाम | डॉ. रामविलास शर्मा (Ram Vilas Sharma) |
जन्म की तारीख | 10 अक्टूबर 1912 |
जन्म स्थान | उच्चगाँव सानी, जिला: उन्नाव, उत्तर प्रदेश (भारत) |
निधन तिथि | 30 मई 2000 |
उपलब्धि | 1991 - व्यास सम्मान से सम्मानित प्रथम भारतीय व्यक्ति |
पेशा / देश | पुरुष / लेखक / भारत |
डॉ. रामविलास शर्मा (Ram Vilas Sharma)
डा० राम विलास शर्मा आधुनिक हिन्दी साहित्य के सुप्रसिद्ध आलोचक, निबंधकार, विचारक एवं कवि थे। वे अंग्रेजी के प्रोफेसर भी थे। डा. रामविलास शर्मा भारत के प्रथम ‘व्यास सम्मान" विजेता थे। रामविलास शर्मा ने अपनी सुदीर्घ लेखन यात्रा में लगभग 100 महत्वपूर्ण पुस्तकों का सृजन किया था। जिनमें ‘भारतेंदु युग", ‘महावीरप्रसाद द्विवेदी और हिन्दी नवजागरण", ‘निराला की साहित्य साधना", ‘भारत में अंग्रेज़ी राज और मार्क्सवाद", ‘पश्चिमी एशिया और ऋग्वेद", ‘भारतीय नवजागरण और यूरोप", ‘भारतीय संस्कृति और हिन्दी प्रदेश", ‘गाँधी, आंबेडकर, लोहिया और भारतीय इतिहास की समस्याएँ, जैसी कालजयी रचनाएँ शामिल हैं।
डॉ. रामविलास शर्मा का जन्म
डॉ. रामविलास शर्मा का जन्म 10 अक्टूबर, 1912 ई. में उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले में उच्चगाँव सानी में हुआ था।
डॉ. रामविलास शर्मा का निधन
डॉ. रामविलास शर्मा का निधन 30 मई 2000 (87 वर्ष की आयु) को हुआ था।
डॉ. रामविलास शर्मा का करियर
राम विलास शर्मा सन् 1938 से ही वह अध्यापन क्षेत्र में आ गए। सन् 1943 से 1974 तक उन्होंने बलवंत राजपूत कालेज, आगरा में अंग्रेजी विभाग में कार्य किया और अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष रहे। डॉ॰ रामविलास शर्मा का साहित्यिक जीवन का आरंभ 1933 से होता है, जब वे सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला" के संपर्क में आए। उन्होंने साल 1934 में ‘निराला" पर एक आलोचनात्मक लेख लिखा, जो उनका पहला आलोचनात्मक लेख था।
डॉ. रामविलास शर्मा के बारे में अन्य जानकारियां
रामविलासजी निरंतर सृजन की ओर उन्मुख रहे। अपनी सुदीर्घ लेखन यात्रा में उन्होंने लगभग 100 महत्त्वपूर्ण पुस्तकों का सृजन किया, जिनमें ‘गाँधी, आंबेडकर, लोहिया और भारतीय इतिहास की समस्याएँ", ‘भारतीय संस्कृति और हिन्दी प्रदेश", ‘निराला की साहित्य साधना", ‘महावीरप्रसाद द्विवेदी और हिन्दी नव-जागरण", ‘पश्चिमी एशिया और ऋग्वेद", ‘भारत में अँग्रेजी राज्य और मार्क्सवाद", ‘भारतीय साहित्य और हिन्दी जाति के साहित्य की अवधारणा", ‘भारतेंदु युग", ‘भारत के प्राचीन भाषा परिवार और हिन्दी" जैसी कालजयी रचनाएँ शामिल हैं।
डॉ. रामविलास शर्मा के पुरस्कार और सम्मान
रामविलास शर्मा जी वर्ष 1986-87 में हिन्दी अकादमी के प्रथम सर्वोच्च सम्मान शलाका सम्मान से सम्मानित साहित्यकार हैं। इसके अतिरिक्त 1991 में इन्हें प्रथम व्यास सम्मान से भी सम्मानित किया गया।
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