छठ पूजा संक्षिप्त तथ्य
त्यौहार का नाम | छठ पूजा (Chhath Puja) |
त्यौहार की तिथि | 17 नवंबर 2023 - 20 नवंबर 2023 |
त्यौहार का प्रकार | धार्मिक |
त्यौहार का स्तर | वैश्विक |
त्यौहार के अनुयायी | हिंदू |
छठ पूजा का इतिहास
छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है| सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। ये एक मात्र ही बिहार या पूरे भारत का ऐसा पर्व है जो वैदिक काल से चला आ रहा है और ये बिहार कि संस्कृति बन चुका हैं।
छठ पूजा का इतिहास विभिन्न कालों में बदलता रहा है, और आधुनिक काल में इसे एक बड़ा सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। लोग पारंपरिक रूप से छठ पूजा के दौरान व्रत रखते हैं, स्नान करते हैं, खाद्य पदार्थों की विशेष प्रसाद पकाते हैं और सूर्योदय और सूर्यास्त के समय पूजा करते हैं। इसके अलावा, लोग गाने, नृत्य और सामाजिक मिलन-जुलन के आयोजन करते हैं। छठ पूजा को गांधीवादी सोच के अंतर्गत स्वतंत्रता संग्राम के माध्यम से भी मजबूती प्राप्त हुई है।
छठ पूजा से संबंधित कहानी
कर्ण के साथ छठी माता की प्रसन्नता: यह कहानी महाभारत काल में बांधवगढ़ नगर में बसती है। कर्ण ने अपने पूर्वजों की वंशवृद्धि के लिए छठी माता की प्रार्थना की थी और छठ पूजा का आयोजन किया था। वे पूरे मन और श्रद्धा से व्रत रखने के बावजूद, उन्हें सभी कठिनाइयाँ और परीक्षाएं पार करनी पड़ी। अपनी अद्भुत विनती और संघर्ष के बाद, उन्हें छठी माता की कृपा प्राप्त हुई और उन्हें उनके उच्च स्थान पर स्वीकार किया गया।
द्रोणाचार्य की पुत्री के संकल्प की कहानी: इस कथा में द्रोणाचार्य की पुत्री उत्सवी छठी ब्राह्मण थी और छठ पूजा के माध्यम से उसकी सन्तान के लिए आशीर्वाद और सुख की कामना की गई। उसकी भक्ति और परिश्रम के कारण, वह अपनी इच्छित मनोकामनाओं को प्राप्त करने में सफल हुई और उत्सवी छठी ब्राह्मण बन गई।
राजा सुरजन सिंह और नगिना की कहानी: यह कहानी झारखंड राज्य में हुई एक राजा की है, जिसकी रानी नगिना अपनी संतान के लिए छठ पूजा का आयोजन करने का निर्णय लिया। उन्होंने पूरे मन और श्रद्धा से व्रत रखा और भक्ति और उत्साह के साथ छठी माता की पूजा की। उनकी साधना के बाद, उन्हें उनकी सन्तान की कामना पूरी हुई और वह सुरक्षित रूप से जन्म ले गया।
छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण और प्रमुख त्योहार है। यह पूजा प्राथमिकता से बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों में मनाई जाती है, जहां इसे विशेष आदर और महत्व दिया जाता है। छठ पूजा का महत्व इसकी गहनता, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्वपूर्णता में देखा जाता है। यह पूजा सूर्य देवता, जो जीवन की स्रष्टि करने वाले और ऊर्जा के स्रोत के रूप में मान्यता प्राप्त है, की आराधना और प्रसन्नता के लिए मनाई जाती है। इस पूजा में भक्त अपनी व्रत संगठित करते हैं और विशेष आहार, तपस्या और पवित्रता के साथ छठी माता की पूजा करते हैं। छठ पूजा के दौरान गंगा घाटों पर अर्घ्य देने, सूर्योदय और सूर्यास्त के समय स्नान करने, और विशेष मंदिरों में जाने जैसे धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
छठ पूजा का आयोजन शुभ संकेतों की प्राप्ति के लिए भी किया जाता है। इसे भक्त व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक संकटों से छुटकारा प्राप्त करने के लिए मान्यता प्रदान करते हैं। छठ पूजा अपनी प्राकृतिक महत्वपूर्णता के लिए भी प्रसिद्ध है, जैसे इसका आयोजन अक्टूबर-नवंबर माह में होता है, जब मौसम शीतल होता है और धूप की मात्रा कम होती है। इसके माध्यम से, छठ पूजा मानव-प्राकृतिक सम्बंध को दर्शाती है और प्राकृतिक उपहारों के प्रतीक के रूप में सूर्य देवता की प्रसन्नता का आदर्श स्थान देती है। छठ पूजा का महत्व धर्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को बनाए रखने, सौहार्द और समरसता को स्थापित करने और लोगों में भक्ति और आदर की भावना को बढ़ाने में सहायता करता है। इसके माध्यम से, लोग अपनी आस्था को प्रकट करते हैं और सूर्य देवता की कृपा के लिए प्रार्थना करते हैं। छठ पूजा की महिमा, संगठनशीलता, त्याग, और परिश्रम का प्रतीक होती है और लोगों को धार्मिक उत्साह और आत्मविश्वास प्रदान करती है।
छठ पूजा कैसे मनाते हैं
छठ पूजा चार दिनों तक मनाई जाती है और इसके दौरान व्रती व्यक्ति विशेष रूप से नियमों का पालन करते हैं। यहां छठ पूजा के मुख्य चरणों की एक सारगर्भित व्याख्या दी जाती है:
नहाय-खाय: छठ पूजा का आयोजन पहले दिन शुरू होता है। इस दिन व्रती व्यक्ति नहाने के बाद विशेष भोजन करते हैं, जिसमें चावल, दाल, और सब्जियाँ शामिल होती हैं। इसके बाद, वे मंदिर जाते हैं और छठी माता को प्रणाम करते हैं।
खरना: दूसरे दिन को खरना कहा जाता है, जब व्रती व्यक्ति अन्न के निर्माण के लिए उपवास रखते हैं। इस दिन वे अन्न की मिठास और स्वाद के लिए गमलों में चावल के बाल रखते हैं और उन्हें सूर्य की किरणों में पकाते हैं। इन बने हुए खाद्य पदार्थों को पूजा के बाद छठी माता को अर्पित किया जाता है।
संध्यार्घ्य: तीसरे दिन को संध्यार्घ्य कहा जाता है। इस दिन व्रती व्यक्ति सूर्यास्त के समय मंदिर जाते हैं और सूर्य देवता की आराधना करते हैं। वे अपनी प्रार्थनाएं करते हैं और अर्घ्य देते हैं।
उषा अर्घ्य: छठ पूजा का अंतिम दिन उषा अर्घ्य कहलाता है। इस दिन व्रती व्यक्ति सूर्योदय के समय मंदिर जाते हैं और सूर्य देवता को अर्घ्य देते हैं। यह अंतिम पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा है जब व्रती व्यक्ति अपने व्रत को समाप्त करते हैं।
छठ पूजा में इन चरणों के अलावा, भक्त व्रती व्यक्ति श्रद्धांजलि भी देते हैं, उन्हें संगीत और नृत्य का आनंद लेते हैं, और परिवार और समुदाय के साथ भक्ति और आनंद का संयोग बनाए रखते हैं।
छठ पूजा की परंपराएं और रीति-रिवाज
छठ उत्सव के केंद्र में छठ व्रत है जो एक कठिन तपस्या की तरह है। यह छठ व्रत अधिकतर महिलाओं द्वारा किया जाता है; कुछ पुरुष भी इस व्रत रखते हैं। व्रत रखने वाली महिलाओं को परवैतिन कहा जाता है। चार दिनों के इस व्रत में व्रति को लगातार उपवास करना होता है। भोजन के साथ ही सुखद शैय्या का भी त्याग किया जाता है। पर्व के लिए बनाये गये कमरे में व्रति फर्श पर एक कम्बल या चादर के सहारे ही रात बिताती हैं। इस उत्सव में शामिल होने वाले लोग नये कपड़े पहनते हैं। जिनमें किसी प्रकार की सिलाई नहीं की गयी होती है व्रति को ऐसे कपड़े पहनना अनिवार्य होता है। महिलाएँ साड़ी और पुरुष धोती पहनकर छठ करते हैं। ‘छठ पर्व को शुरू करने के बाद सालों साल तब तक करना होता है, जब तक कि अगली पीढ़ी की किसी विवाहित महिला इसके लिए तैयार न हो जाए। घर में किसी की मृत्यु हो जाने पर यह पर्व नहीं मनाया जाता है।’ ऐसी मान्यता है कि छठ पर्व पर व्रत करने वाली महिलाओं को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। पुत्र की चाहत रखने वाली और पुत्र की कुशलता के लिए सामान्य तौर पर महिलाएँ यह व्रत रखती हैं। पुरुष भी पूरी निष्ठा से अपने मनोवांछित कार्य को सफल होने के लिए व्रत रखते हैं।
महत्वपूर्ण त्योहारों की सूची:
तिथि | त्योहार का नाम |
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25 मार्च 2024 | होली |
14-15 जनवरी 2024 | पोंगल |
14 फरवरी 2024 | वसंत पंचमी |
8 मार्च 2024 | महा शिवरात्रि |
15 नवंबर 2023 | भाई दूज |
28 जून 2023 | ईद अल-अज़हा |
17 नवंबर 2023 - 20 नवंबर 2023 | छठ पूजा |
23 मई 2024 | बुद्ध पूर्णिमा |
7 सितंबर 2023 | जन्माष्टमी |
19 सितंबर 2023 | गणेश चतुर्थी |
12 नवंबर 2023 | दिवाली |
27 नवंबर 2023 | गुरु पर्व |
11 सितंबर 2023 - 18 सितंबर 2023 | पर्यूषण पर्व |
10 – 11 अप्रैल 2024 | ईद उल-फितर |
छठ पूजा प्रश्नोत्तर (FAQs):
इस वर्ष छठ पूजा का त्यौहार 17 नवंबर 2023 - 20 नवंबर 2023 को है।
छठ पूजा एक धार्मिक त्यौहार है, जिसे प्रत्येक वर्ष बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
छठ पूजा का त्यौहार प्रत्येक वर्ष हिंदू धर्म / समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता है।
छठ पूजा एक वैश्विक स्तर का त्यौहार है, जिसे मुख्यतः हिंदू धर्म / समुदाय के लोगों द्वारा धूम धाम से मनाया जाता है।