ईद अल-अज़हा संक्षिप्त तथ्य
त्यौहार का नाम | ईद अल-अज़हा (Eid al-Adha) |
त्यौहार की तिथि | 28 जून 2023 |
त्यौहार का प्रकार | धार्मिक |
त्यौहार का स्तर | वैश्विक |
त्यौहार के अनुयायी | मुस्लिम |
ईद अल-अज़हा का इतिहास
ईद उल-अज़हा इस्लामी धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो ईस्लामी कैलेंडर के अनुसार द्वितीय इस्लामी महीने जुल्हिज्जा की दसवीं तारीख को मनाया जाता है। इसे भी "कुर्बानी का ईद" या "बकरीद" के नाम से भी जाना जाता है।
ईद उल-अज़हा का इतिहास इब्राहीम और उनके पुत्र इस्माईल से जुड़ा हुआ है। अल्लाह ने इब्राहीम के सपने में एक संकेत दिया था कि वह अपने पुत्र को कुर्बानी के लिए दे दे। इब्राहिम ने अपने पुत्र के साथ उस स्थान पर चले जहां वह कुर्बानी देने के लिए अल्लाह के द्वारा निर्दिष्ट किया गया था। जब इब्राहिम ने अपने पुत्र को कुर्बानी के लिए तैयार किया, तो अल्लाह ने उन्हें एक बकरा प्रदान किया और बकरा को कुर्बानी के रूप में प्रस्तुत करने को कहा। इब्राहिम ने अपने पुत्र को कुर्बानी के लिए छुड़ाया और उसे उसकी जगह एक बकरा कुर्बानी के लिए दे दिया।
ईद अल-अज़हा से संबंधित कहानी
ईब्राहिम (अब्राहम) और इस्माईल: अल्लाह ने हज़रत इब्राहीम के सपने में एक संकेत दिया और उन्हें अपने पुत्र इस्माईल की कुर्बानी के लिए कहा। इब्राहीम ने अपने पुत्र को खुदा की इबादत के लिए तैयार किया, लेकिन अंत में उन्हें बकरी की कुर्बानी करने को कहा गया। यह कहानी बलिदान के महत्व को दर्शाती है और यह सिद्ध करती है कि अल्लाह वचनविश्वासी और धैर्यशील भक्तों की परीक्षा लेते हैं।
आपा और भाई चारा: एक आदमी ने ईद अल-अज़्हा पर दो बकरों को खरीदने के लिए ज़रूरतमंद लोगों की मदद की। यह दिखाती है कि भाईचारा, दया, और सेवा की भावना कैसे ईद के महत्वपूर्ण तत्व हैं।
हज़रत इब्राहीम और बाँझपन की कहानी: हज़रत इब्राहीम और हज़रत साराह को वर्षों तक संतान नहीं होती रही। फिर अल्लाह के करुणामय वरदान के बाद, साराह गर्भवती हुई और उन्होंने इस्माईल को जन्म दिया। यह कहानी अल्लाह के करुणामयता, संतानहीनता से निपटने का सामर्थ्य, और विश्वास के महत्व को दर्शाती है।
ईद अल-अज़हा का महत्व
ईद उल-अज़हा का महत्व इस्लामी धर्म में बहुत अधिक है। यह त्योहार मुसलमान समुदाय में गहरे आदर और ख़ुशी के साथ मनाया जाता है और कई महत्वपूर्ण संकेतात्मक और मान्यतात्मक आयामों को प्रतिष्ठित करता है।
समर्पण और वचनविश्वास का प्रदर्शन: ईद अल-अज़्हा मुसलमान समुदाय के लिए समर्पण और वचनविश्वास का प्रदर्शन करने का महान अवसर है। यह उन्हें याद दिलाता है कि वे अपनी समर्पणता, ईमानदारी, और आत्मसमर्पण के माध्यम से अल्लाह के पास आसक्ति प्रदान करें।
समानता और दया की प्रेरणा: ईद अल-अज़्हा एक सामाजिक और मानवीय महत्वपूर्णता का प्रतीक भी है। इस अवसर पर मुसलमान समुदाय अपने संगठन और पड़ोसी के साथ खाना बांटते हैं, दान करते हैं और गरीबों की मदद करते हैं। यह समानता, भाईचारा, और दया की भावना को बढ़ावा देता है और लोगों को सहयोग और संगठन के महत्व का अनुभव कराता है।
परिवार और सम्प्रेषण: ईद अल-अज़्हा एक परिवारिक उत्सव भी है जहां परिवार और मित्रों के साथ समय बिताने का मौका मिलता है। लोग एक दूसरे को दावत देते हैं, मिठाईयाँ बांटते हैं, और खुशी के पल साझा करते हैं। यह एक बंधन और प्यार का मौका होता है और सम्प्रेषण के माध्यम से समुदाय को एकता की भावना से जोड़ता है।
ईद अल-अज़हा कैसे मनाते हैं
ईद उल-अज़हा को मुसलमान समुदाय विशेष तरीके से मनाते हैं। यह त्योहार आरंभ से लेकर अंत तक चार आयामों (चरणों) में मनाया जाता है।
नमाज़-ए-ईद: ईद अल-अज़्हा की शुरुआत नमाज़-ए-ईद के साथ होती है। यह सुबह सूरज उगते ही मस्जिदों में आयोजित की जाती है। लोग सभा में इकट्ठे होते हैं और एक विशेष नमाज़ पढ़ते हैं, जिसे नमाज़-ए-ईद कहा जाता है। इसके बाद खुत्बा (भाषण) दिया जाता है, जो धार्मिक और नैतिक संदेशों को व्यक्त करता है।
कुर्बानी (बलिदान): ईद अल-अज़्हा में कुर्बानी भी आयोजित की जाती है। यह कुछ समय के लिए मुस्लिम घरानों द्वारा बड़ी बकरी या बकरी की बलिदान होती है। यह कुर्बानी हज़रत इब्राहीम (अब्राहम) के पुत्र इस्माईल की कुर्बानी की स्मृति में की जाती है। बलिदान की हुई जानवर का भाग गरीबों और जरूरतम लोगों मे बांटा जाता है |
ताक़तीर: प्रार्थनाओं और उपदेशों के समापन पर, मुसलमान एक दूसरे के साथ गले मिलते हैं और एक दूसरे को बधाई देते हैं (ईद मुबारक), उपहार देते हैं और एक दूसरे से मिलते हैं। बहुत से मुसलमान अपने ईद त्योहारों पर अपने गैर-मुस्लिम दोस्तों, पड़ोसियों, सहकर्मियों और सहपाठियों को इस्लाम और मुस्लिम संस्कृति के बारे में बेहतर तरीके से परिचित कराने के लिए इस अवसर पर आमंत्रित करते हैं।
ईद अल-अज़हा की परंपराएं और रीति-रिवाज
इस त्योहार की प्रमुख परंपराओं में से एक है कि ईद अल-अज़्हा के दिन गोत्र में से एक जानवर (बकरा, बैल, ऊंट, भेड़, मेंढ़ आदि) की कुर्बानी की जाती है। यह कुर्बानी कायरत की एक बड़ी शूरवीरता है जिसका उद्देश्य अल्लाह के प्रति समर्पण और आदर्शों के प्रति प्रतिष्ठा है। कुर्बानी के बाद, भक्त अपने परिवार, दोस्तों, और गरीबों के साथ खाना बांटते हैं और एक भाग्यशाली दिन मनाते हैं। ईद अल-अज़्हा का मतलब होता है "कुर्बानी का ईद" और यह त्योहार ईद अल-फ़ित्र के बाद इस्लामी कैलेंडर में दूसरा सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है।
इस दिन मुसलमान समुदाय द्वारा देश भर में ख़ुशी के साथ मनाया जाता है। लोग मस्जिद जाते हैं, दोस्तों और परिवार से मिलते हैं, खाने-पीने का आनंद लेते हैं और अल्लाह की बरकतों का आभास करते हैं। ईद अल-अज़्हा का उत्सव दुनिया भर में मनाया जाता है और यह मुस्लिम समुदाय की आबादी वाले क्षेत्रों में विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। इस त्योहार को साझा करने के लिए लोग अपने आस-पास के लोगों के साथ खुशी और एकता का अनुभव करते हैं।
महत्वपूर्ण त्योहारों की सूची:
तिथि | त्योहार का नाम |
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25 मार्च 2024 | होली |
14-15 जनवरी 2024 | पोंगल |
14 फरवरी 2024 | वसंत पंचमी |
8 मार्च 2024 | महा शिवरात्रि |
15 नवंबर 2023 | भाई दूज |
28 जून 2023 | ईद अल-अज़हा |
17 नवंबर 2023 - 20 नवंबर 2023 | छठ पूजा |
23 मई 2024 | बुद्ध पूर्णिमा |
7 सितंबर 2023 | जन्माष्टमी |
19 सितंबर 2023 | गणेश चतुर्थी |
12 नवंबर 2023 | दिवाली |
27 नवंबर 2023 | गुरु पर्व |
11 सितंबर 2023 - 18 सितंबर 2023 | पर्यूषण पर्व |
10 – 11 अप्रैल 2024 | ईद उल-फितर |
ईद अल-अज़हा प्रश्नोत्तर (FAQs):
इस वर्ष ईद अल-अज़हा का त्यौहार 28 जून 2023 को है।
ईद अल-अज़हा एक धार्मिक त्यौहार है, जिसे प्रत्येक वर्ष बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
ईद अल-अज़हा का त्यौहार प्रत्येक वर्ष मुस्लिम धर्म / समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता है।
ईद अल-अज़हा एक वैश्विक स्तर का त्यौहार है, जिसे मुख्यतः मुस्लिम धर्म / समुदाय के लोगों द्वारा धूम धाम से मनाया जाता है।