नवरात्रि संक्षिप्त तथ्य

त्यौहार का नामनवरात्रि (Navratri)
त्यौहार की तिथि15 अक्टूबर 2023 - 24 अक्टूबर 2023
त्यौहार का प्रकारधार्मिक
त्यौहार का स्तरक्षेत्रीय
त्यौहार के अनुयायीहिंदू

नवरात्रि का इतिहास

नवरात्रि, भारतीय हिन्दू धर्म का एक प्रमुख नौ दिवसीय त्योहार है। यह त्योहार माता दुर्गा की पूजा और आराधना के लिए मनाया जाता है। नवरात्रि का अर्थ होता है "नौ रातें" और इसे संस्कृत में "नव" और "रात्रि" शब्दों से मिलाकर बनाया गया है। यह त्योहार हर्ष और उत्साह के साथ मनाया जाता है और भक्तों को दुर्गा माता की कृपा और आशीर्वाद की कामना करता है।

नवरात्रि का इतिहास इस तरह से विभिन्न रूपों में प्रस्तुत किया जाता है और इसका महत्व धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं में गहराया हुआ है। यह त्योहार देवी दुर्गा की जीवन और शक्ति की महिमा को याद करने का अवसर प्रदान करता है और भक्तों को उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति का मार्ग दर्शाता है। इस अवसर पर माता दुर्गा की पूजा और आराधना की जाती है और उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति का आग्रह किया जाता है।

नवरात्रि से संबंधित कहानी

इस पर्व से जुड़ी एक अन्य कथा अनुसार देवी दुर्गा ने एक भैंस रूपी असुर अर्थात महिषासुर का वध किया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार महिषासुर के एकाग्र ध्यान से बाध्य होकर देवताओं ने उसे अजय होने का वरदान दे दिया। उसे वरदान देने के बाद देवताओं को चिंता हुई कि वह अब अपनी शक्ति का गलत प्रयोग करेगा,और प्रत्याशित प्रतिफल स्वरूप महिषासुर ने नरक का विस्तार स्वर्ग के द्वार तक कर दिया और उसके इस कृत्य को देख देवता विस्मय की स्थिति में आ गए। महिषासुर ने सूर्य, इन्द्र, अग्नि, वायु, चन्द्रमा, यम, वरुण और अन्य देवताओं के सभी अधिकार छीन लिए थे और स्वयं स्वर्गलोक का मालिक बन बैठा। देवताओं को महिषासुर के प्रकोप से पृथ्वी पर विचरण करना पड़ रहा थे। तब महिषासुर के इस दुस्साहस से क्रोधित होकर देवताओं ने देवी दुर्गा की रचना की। ऐसा माना जाता है कि देवी दुर्गा के निर्माण में सारे देवताओं का एक समान बल लगाया गया था। महिषासुर का नाश करने के लिए सभी देवताओं ने अपने अपने अस्त्र देवी दुर्गा को दिए थे और इन देवताओं के सम्मिलित प्रयास से देवी दुर्गा और बलवान हो गईं थी। इन नौ दिन देवी-महिषासुर संग्राम हुआ और अन्ततः महिषासुर-वध कर महिषासुर मर्दिनी कहलायीं।

नवरात्रि का महत्व

नवरात्रि का महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह हिन्दू धर्म में माता दुर्गा की पूजा और आराधना के लिए मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार है। नवरात्रि का अर्थ होता है "नौ रातें" और इसे संस्कृत में "नव" और "रात्रि" शब्दों से मिलाकर बनाया गया है। इसमें माता दुर्गा की अद्वितीय शक्ति, सौम्यता और प्रेम का प्रतीक है। नवरात्रि के दौरान, भक्तों द्वारा माता दुर्गा की पूजा और आराधना की जाती है। नौ दिनों तक नवदुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिन्हें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री कहा जाता है। इन रूपों की पूजा के द्वारा भक्तों का दुर्गा माता के प्रति भक्ति और समर्पण व्यक्त होता है। नवरात्रि मे लोग व्रत रखते हैं, मंदिरों में जाते हैं, माता के भजन गाते हैं, पंडालों में आरती और भोग चढ़ाते हैं, और भक्तों के बीच दुर्गा माता के कथाएं सुनाई जाती हैं। यह त्योहार धार्मिक और सांस्कृतिक एकता और उत्साह का प्रतीक है। इसके माध्यम से लोग दुर्गा माता की कृपा और आशीर्वाद की कामना करते हैं और उनके जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति का प्रयास करते हैं।

नवरात्रि कैसे मनाते हैं

नवरात्रि के दौरान, भक्त नौ दिनों तक माता दुर्गा की पूजा करते हैं। हर दिन कोई विशेष रूप और आराधना की जाती है, जिसे नवरात्रि के नौ दिवसीय नौ रूपों की पूजा कहा जाता है। ये रूप हैं: शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।

माता दुर्गा की पूजा: नवरात्रि के दौरान, घरों और मंदिरों में माता दुर्गा की मूर्ति की स्थापना की जाती है। इसके बाद, पूजा और आरती की जाती है और माता को विभिन्न प्रकार के पुष्प, धूप, दीपक, और प्रसाद के रूप में चढ़ावा चढ़ाया जाता है।

व्रत और उपवास: भक्त नवरात्रि के दौरान नौ दिनों तक व्रत रखते हैं और शाकाहारी आहार लेते हैं। वे दूध, दही, नमकीन और आलू जैसे व्रत के खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं और नवरात्रि के नौ दिनों तक नौ व्रत रखते हैं। यह व्रत शुभारंभ के दिन से ही आरंभ होता है और नवमी के दिन समाप्त होता है। मंदिरों में और नवरात्रि पंडालों में माता दुर्गा की मूर्ति स्थापित की जाती है और विशेष पूजा और आरती की जाती है। भक्तों द्वारा माता के भजन गाए जाते हैं और माता के चरणों में प्रार्थना की जाती है।

भोग चढ़ाना: नवरात्रि का महत्वपूर्ण हिस्सा आरती और भोग देना है। भक्तों द्वारा आरती की जाती है और विभिन्न प्रकार के प्रसाद भोग चढ़ाए जाते हैं जैसे कि हलवा, पूरी, कटहल, चना, मिठाईयाँ आदि। ये भोग माता के आशीर्वाद की प्रतीक्षा करते हैं और उनका प्रसाद भक्तों के बीच बांटा जाता है।

गरबा और डांडिया रास: नवरात्रि के दौरान गरबा और दंडिया रास के आयोजन किए जाते हैं। यह रंगीन नृत्य प्रदर्शन होता है जिसमें लोग रात में लोकप्रिय गीतों के साथ घूमते हैं और दंडिया (लकड़ी के छड़ी) का उपयोग करते हैं। यह एक आनंदमयी और रंगीन गतिविधि है जो लोगों को सांस्कृतिक एकता और आनंद का अनुभव कराती है।

कथा सुनना: नवरात्रि के दौरान धार्मिक कथाएं सुनाई जाती हैं, जिनमें माता दुर्गा के बारे में महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन होता है। ये कथाएं धार्मिक श्रद्धा और आस्था को मजबूत करती हैं और भक्तों को माता के बारे में अधिक ज्ञान प्रदान करती हैं।

हाट और मेले: कई स्थानों पर नवरात्रि मेले आयोजित होते हैं जहां लोग परंपरागत नृत्य, गीत और रंग-बिरंगे दिखावे का आनंद लेते हैं। ये मेले माता दुर्गा के प्रतीक रूपों और धर्मिक वस्त्रों की खरीदारी का भी मौका प्रदान करते हैं।

नवरात्रि की परंपराएं और रीति-रिवाज

नवरात्रि भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है जो पूरे देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार देवी दुर्गा की पूजा और आराधना का अवसर है और नौ दिनों तक चलता है। इस उत्सव के दौरान विभिन्न रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है जो इसे और भी उत्साहजनक बनाते हैं। प्रारंभिक दिनों में, माता दुर्गा की मूर्ति स्थापित की जाती है जो एक विशेष पूजा स्थल पर रखी जाती है। मूर्ति को विशेष सजावट के साथ सजाया जाता है और उसके चारों ओर दीपक, धूप, अक्षत, फूल और नैवेद्य रखे जाते हैं। इसके बाद से, प्रतिदिन माता दुर्गा की पूजा और आराधना की जाती है। नवरात्रि का उत्सव समाप्त होते ही, माता दुर्गा की मूर्ति को विसर्जन के लिए तैयार किया जाता है। यह मूर्ति नदी या समुद्र के पास ले जाई जाती है और वहां उसे अपनी विदाई दी जाती है। इस अवसर पर भक्तों द्वारा भक्तिभाव से गीत और धुनों के साथ माता दुर्गा का विदाई देने का आयोजन किया जाता है।

नवरात्रि के बारे में अन्य जानकारी

आधुनिक युग में, नवरात्रि का आयोजन और मनाने के तरीके भी बदल गए हैं। अब लोग इंटरनेट और सोशल मीडिया का उपयोग करके नवरात्रि पूजा का आयोजन करते हैं, और वेबसाइटों और मोबाइल ऐप्स पर विशेष आरती, मंत्र और भजन उपलब्ध कराए जाते हैं। इसके अलावा, लाइव स्ट्रीमिंग के माध्यम से लोग माता दुर्गा की पूजा को दूर से भी देख सकते हैं। कला और साहित्य नवरात्रि मनाने का अहम अंग बन गए हैं। नवरात्रि के दौरान नाटक, नृत्य और संगीत के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें माता दुर्गा के जीवन के घटनाओं की कथा प्रस्तुत की जाती है। भक्तों के द्वारा कविता, गीत और लेखों की रचनाएँ भी नवरात्रि के दौरान प्रस्तुत की जाती हैं। नवरात्रि के दौरान विशेष आहार के प्रति रुचि और विचारशीलता में भी बदलाव आया है। आधुनिक जीवनशैली के साथ-साथ, लोगों की प्राथमिकता स्वस्थ और पौष्टिक भोजन के प्रति बढ़ी है। ऐसे में, नवरात्रि में व्रत रखने वाले लोग शाकाहारी और व्रत-संगत आहार खाते हैं जैसे कि साबूदाना, कटहल, केला, सिंघाड़ा आदि। विशेष नवरात्रि मेनू और व्रत भोजन के विकल्प आयोजित किए जाते हैं।

महत्वपूर्ण त्योहारों की सूची:

तिथि त्योहार का नाम
13 जनवरी 2024 लोहड़ी
14 जनवरी 2024 मकर संक्रांति
9 अप्रैल 2024 - 17 अप्रैल 2024चैत्र नवरात्रि
11 अप्रैल 2024 गणगौर
17 अप्रैल 2024 राम नवमी
17 सितंबर 2023 भगवान विश्वकर्मा जयंती
24 अक्टूबर 2023विजयादशमी
9 अप्रैल 2024गुडी पडवा
30 अगस्त 2023रक्षाबंधन
15 अक्टूबर 2023 - 24 अक्टूबर 2023नवरात्रि
20 अक्टूबर 2023 - 24 अक्टूबर 2023दुर्गा पूजा
10 नवंबर 2023धन तेरस
21 अगस्त 2023नाग पंचमी
23 अप्रैल 2024हनुमान जयंती

नवरात्रि प्रश्नोत्तर (FAQs):

इस वर्ष नवरात्रि का त्यौहार 15 अक्टूबर 2023 - 24 अक्टूबर 2023 को है।

नवरात्रि एक धार्मिक त्यौहार है, जिसे प्रत्येक वर्ष बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

नवरात्रि का त्यौहार प्रत्येक वर्ष हिंदू धर्म / समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता है।

नवरात्रि एक क्षेत्रीय स्तर का त्यौहार है, जिसे मुख्यतः हिंदू धर्म / समुदाय के लोगों द्वारा धूम धाम से मनाया जाता है।

  Last update :  Thu 8 Jun 2023
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