रक्षाबंधन संक्षिप्त तथ्य

त्यौहार का नामरक्षाबंधन (Raksha Bandhan)
त्यौहार की तिथि30 अगस्त 2023
त्यौहार का प्रकारसांस्कृतिक
त्यौहार का स्तरक्षेत्रीय
त्यौहार के अनुयायीहिंदू

रक्षाबंधन का इतिहास

भारतीय धर्म संस्कृति के अनुसार रक्षाबन्धन का त्योहार श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन को स्नेह की डोर में बांधता है। इस दिन बहन अपने भाई के मस्तक पर टीका लगाकर रक्षा का बन्धन बांधती है, जिसे राखी कहते हैं।

रक्षाबंधन का इतिहास बहुत प्राचीन है और इसे वेदिक काल से मान्यता प्राप्त है। इसका प्रारंभ इतिहास में महाभारत काल में हुआ था। एक इतिहासकार के अनुसार, महाभारत में वीर आदमी और राजकुमार युधिष्ठिर एक पण्डव राजकुमार थे जिन्हें अपने सेनापति और राजगुरु द्रोणाचार्य ने अच्छी तरह से योद्धा बनाया था। इस परिस्थिति में, द्रोणाचार्य के प्रति वफादारी का प्रतीक और आदर्श बहना कृष्णा ने कहा था कि जो भी महिला द्रोणाचार्य की रक्षा करेगी, वह अज्ञात योद्धा की रक्षा करने वाले सामरिकों के तुल्य होगी।

रक्षाबंधन से संबंधित कहानी

इंद्र और शची :- भविष्य पुराण में कहीं पर लिखा है कि देव और असुरों में जब युद्ध शुरू हुआ, तब असुर या दैत्य देवों पर भारी पड़ने लगे। ऐसे में देवताओं को हारता देख देवेंद्र इन्द्र घबराकर ऋषि बृहस्पति के पास गए। तब बृहस्पति के सुझाव पर इन्द्र की पत्नी इंद्राणी (शची) ने रेशम का एक धागा मंत्रों की शक्ति से पवित्र करके अपने पति के हाथ पर बांध दिया। संयोग से वह श्रावण पूर्णिमा का दिन था। जिसके फलस्वरूप इंद्र विजयी हुए। कहते हैं कि तब से ही पत्नियां अपने पति की कलाई पर युद्ध में उनकी जीत के लिए राखी बांधने लगी।

कृष्ण और द्रौपदी:- महाभारत की कथा में बहुमुखी प्रेमपत्नी द्रौपदी और उनके प्रिय भगवान कृष्ण के बीच एक गहरा बंधन होता है। द्रौपदी ने श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधी थी और कृष्ण ने उसे संरक्षण दिया था। यह कथा रक्षाबंधन का महत्व और भाई-बहन के प्रेम को प्रकट करती है।

यमराज और यमुना:- एक और प्रसिद्ध कथा के अनुसार, हिन्दू पुराणों में यमराज और उनकी बहन यमुना के बीच एक गंभीर रिश्ता था। एक दिन, यमराज अपनी बहन को देखने के लिए उनके पास गए। यमुना ने अपने भाई के लिए राखी बांधकर उसे सुरक्षित रखा और यमराज ने उसे उपहार दिया। इस कथा से यह प्रकट होता है कि रक्षाबंधन एक भाई और बहन के बीच प्यार और संरक्षण के बंधन को प्रतिष्ठित करता है।

रक्षाबंधन का महत्व

रक्षाबंधन हिन्दू संस्कृति में एक महत्वपूर्ण और प्रिय त्योहार है। यह भाई-बहन के आपसी प्रेम, सम्बंध और संरक्षा को मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है। रक्षाबंधन का शब्द अर्थात् "रक्षा" और "बंधन" दोनों ही शब्दों का वार्तालापिक अर्थ है। यह पर्व भाई की सुरक्षा और बहन के प्रेम का प्रतीक है। रक्षाबंधन के दिन, बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और भाई उसे आशीर्वाद और उपहार देता है। राखी एक पवित्र धागा होती है जो भाई की सुरक्षा, समृद्धि और दीर्घायु की कामना करती है। इसे बंधने के साथ ही भाई अपनी बहन को आशीर्वाद देता है और उसे उपहार देकर अपना प्यार प्रकट करता है। इस त्योहार के माध्यम से भाई-बहन के बीच विशेष बंधन का निर्माण होता है और प्रेम और सम्बंध मजबूत होते हैं।

यह एक परिवारिक त्योहार है जो परिवार के सदस्यों को एकजुट करता है। इस दिन परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर आपसी प्यार, सम्मान और मान्यता के बारे में बातचीत करते हैं। यह भाई-बहन के बीच विशेष एकात्मता का संकेत है और परिवार के आत्मिक आपसी रिश्तों को मजबूत बनाता है। इसके अतिरिक्त, रक्षाबंधन एक सामाजिक महत्वपूर्णता भी रखता है। इस दिन भाई-बहन के आपसी सम्बंधों को मजबूत करने के साथ-साथ, समाज में भी भाई-बहन के प्रेम और आदर्श रिश्तों को मजबूती मिलती है। यह एक एकता, सद्भाव, समरसता और सामाजिक समरसता की प्रतीक है।

रक्षाबंधन कैसे मनाते हैं

रक्षा बंधन के दिन बहनें अपने भाई के दायें हाथ पर राखी बाँधकर उसके माथे पर तिलक करती हैं और उसकी दीर्घ आयु की कामना करती हैं। बदले में भाई उनकी रक्षा का वचन देता है। ऐसा माना जाता है कि राखी के रंगबिरंगे धागे भाई-बहन के प्यार के बन्धन को मज़बूत करते है। भाई बहन एक दूसरे को मिठाई खिलाते हैं और सुख-दुख में साथ रहने का विश्वास दिलाते हैं। यह एक ऐसा पावन पर्व है जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को पूरा आदर और सम्मान देता है। सगे भाई बहन के अतिरिक्त अनेक भावनात्मक रिश्ते भी इस पर्व से बँधे होते हैं जो धर्म, जाति और देश की सीमाओं से परे हैं। रक्षाबन्धन का पर्व भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री के निवास पर भी मनाया जाता है। जहाँ छोटे छोटे बच्चे जाकर उन्हें राखी बाँधते हैं। रक्षाबन्धन आत्मीयता और स्नेह के बन्धन से रिश्तों को मज़बूती प्रदान करने का पर्व है। यही कारण है कि इस अवसर पर न केवल बहन भाई को ही अपितु अन्य सम्बन्धों में भी रक्षा (या राखी) बाँधने का प्रचलन है। गुरु शिष्य को रक्षासूत्र बाँधता है तो शिष्य गुरु को।

भारत में प्राचीन काल में जब स्नातक अपनी शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात गुरुकुल से विदा लेता था तो वह आचार्य का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उसे रक्षासूत्र बाँधता था जबकि आचार्य अपने विद्यार्थी को इस कामना के साथ रक्षासूत्र बाँधता था कि उसने जो ज्ञान प्राप्त किया है वह अपने भावी जीवन में उसका समुचित ढंग से प्रयोग करे ताकि वह अपने ज्ञान के साथ-साथ आचार्य की गरिमा की रक्षा करने में भी सफल हो। इसी परम्परा के अनुरूप आज भी किसी धार्मिक विधि विधान से पूर्व पुरोहित यजमान को रक्षासूत्र बाँधता है और यजमान पुरोहित को। इस प्रकार दोनों एक दूसरे के सम्मान की रक्षा करने के लिये परस्पर एक दूसरे को अपने बन्धन में बाँधते हैं|

रक्षाबन्धन पर्व सामाजिक और पारिवारिक एकबद्धता या एकसूत्रता का सांस्कृतिक उपाय रहा है। विवाह के बाद बहन पराये घर में चली जाती है। इस बहाने प्रतिवर्ष अपने सगे ही नहीं अपितु दूरदराज के रिश्तों के भाइयों तक को उनके घर जाकर राखी बाँधती है और इस प्रकार अपने रिश्तों का नवीनीकरण करती रहती है। दो परिवारों का और कुलों का पारस्परिक योग (मिलन) होता है। समाज के विभिन्न वर्गों के बीच भी एकसूत्रता के रूप में इस पर्व का उपयोग किया जाता है। इस प्रकार जो कड़ी टूट गयी है उसे फिर से जागृत किया जा सकता है। रक्षाबन्धन के अवसर पर कुछ विशेष पकवान भी बनाये जाते हैं जैसे घेवर, शकरपारे, नमकपारे और घुघनी। घेवर सावन का विशेष मिष्ठान्न है यह केवल हलवाई ही बनाते हैं जबकि शकरपारे और नमकपारे आमतौर पर घर में ही बनाये जाते हैं। घुघनी बनाने के लिये काले चने को उबालकर चटपटा छौंका जाता है। इसको पूरी और दही के साथ खाते हैं। हलवा और खीर भी इस पर्व के लोकप्रिय पकवान हैं।

रक्षाबंधन के बारे में अन्य जानकारी

रक्षाबंधन त्योहार बदलते समय के साथ विभिन्न स्वरूपों में आया है| रक्षाबंधन पहले भाई-बहन के बीच स्थायी बंधन के रूप में मान्यता प्राप्त करता था। हालांकि, आजकल अस्थायी रूप से राखी बांधकर प्रेम और सम्बंध को दिखाने की प्रथा भी प्रचलित हो गई है। इसके अलावा, अब भाई-बहन के बीच बिना रक्षाबंधन के भी एकदिवसीय प्रेम और सम्बंध मनाए जाते हैं। पहले रक्षाबंधन केवल भाई-बहन के बीच मान्य था, लेकिन अब यह त्योहार विभिन्न संबंधों के सम्मान के रूप में भी मनाया जाता है। उदाहरण के लिए, बहन-भाभी, बहन-बहन, दोस्त-दोस्ती आदि के बीच भी राखी बांधकर एक दूसरे के प्रेम और सम्बंध को प्रदर्शित किया जाता है।

आधुनिक जीवनशैली और तकनीकी विकास के साथ, रक्षाबंधन के मनाने के तरीके में भी बदलाव हुआ है। आजकल लोग राखी और उपहारों की खरीदारी ऑनलाइन दुकानों से करते हैं, वीडियो कॉल के माध्यम से भाई-बहन के बीच जुड़ते हैं, और सोशल मीडिया पर रक्षाबंधन की बधाईयों को शेयर करते हैं।आधुनिक समाज में स्त्री-पुरुष समानता की प्रगति, अंतर्राष्ट्रीय परिवारों की वृद्धि और परिवारीय बंधनों के परिवर्तन के कारण रक्षाबंधन का स्वरूप भी परिवर्तित हुआ है। अब भाई-बहन के बीच अस्थायी और स्थायी बंधन के साथ-साथ समरसता, सम्मान, समर्पण, और सहयोग की महत्वपूर्णता भी प्रतिबिंबित होती है।

महत्वपूर्ण त्योहारों की सूची:

तिथि त्योहार का नाम
13 जनवरी 2024 लोहड़ी
14 जनवरी 2024 मकर संक्रांति
9 अप्रैल 2024 - 17 अप्रैल 2024चैत्र नवरात्रि
11 अप्रैल 2024 गणगौर
17 अप्रैल 2024 राम नवमी
17 सितंबर 2023 भगवान विश्वकर्मा जयंती
24 अक्टूबर 2023विजयादशमी
9 अप्रैल 2024गुडी पडवा
30 अगस्त 2023रक्षाबंधन
15 अक्टूबर 2023 - 24 अक्टूबर 2023नवरात्रि
20 अक्टूबर 2023 - 24 अक्टूबर 2023दुर्गा पूजा
10 नवंबर 2023धन तेरस
21 अगस्त 2023नाग पंचमी
23 अप्रैल 2024हनुमान जयंती

रक्षाबंधन प्रश्नोत्तर (FAQs):

इस वर्ष रक्षाबंधन का त्यौहार 30 अगस्त 2023 को है।

रक्षाबंधन एक सांस्कृतिक त्यौहार है, जिसे प्रत्येक वर्ष बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

रक्षाबंधन का त्यौहार प्रत्येक वर्ष हिंदू धर्म / समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता है।

रक्षाबंधन एक क्षेत्रीय स्तर का त्यौहार है, जिसे मुख्यतः हिंदू धर्म / समुदाय के लोगों द्वारा धूम धाम से मनाया जाता है।

  Last update :  Thu 8 Jun 2023
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