भगवान विश्वकर्मा जयन्ती संक्षिप्त तथ्य
कार्यक्रम नाम | भगवान विश्वकर्मा जयन्ती (Lord Vishwakarma Jayanti) |
कार्यक्रम दिनांक | 17 / सितम्बर |
कार्यक्रम का स्तर | राष्ट्रीय |
कार्यक्रम आयोजक | भारत |
भगवान विश्वकर्मा जयन्ती का संक्षिप्त विवरण
प्रत्येक वर्ष देशभर में 17 सितंबर को वास्तुकला के अद्वितीय आचार्य भगवान विश्वकर्मा की जयंती मनाई जाती है। भारत के कर्नाटक, असम, पश्चिमी बंगाल, बिहार, झारखण्ड, ओडिशा और त्रिपुरा आदि प्रदेशों में प्रमुख रूप से मनाई जाती है। यह उत्सव प्रायः कारखानों एवं औद्योगिक क्षेत्रों में मनाया जाता है। विश्वकर्मा को विश्व का निर्माता तथा देवताओं का वास्तुकार माना गया है।
भगवान विश्वकर्मा जयन्ती के बारे में अन्य विवरण
भगवान विश्वकर्मा की उत्पत्ति कैसे हुई?
एक कथा के अनुसार सृष्टि के प्रारंभ में सर्वप्रथम "नारायण" अर्थात साक्षात विष्णु भगवान सागर में शेषशय्या पर प्रकट हुए। उनके नाभि-कमल से चर्तुमुख ब्रह्मा दृष्टिगोचर हो रहे थे। ब्रह्मा के पुत्र "धर्म" तथा धर्म के पुत्र "वास्तुदेव" हुए। कहा जाता है कि धर्म की "वस्तु" नामक स्त्री से उत्पन्न "वास्तु" सातवें पुत्र थे, जो शिल्पशास्त्र के आदि प्रवर्तक थे। उन्हीं वास्तुदेव की "अंगिरसी" नामक पत्नी से विश्वकर्मा उत्पन्न हुए।
हिन्दू धर्म में विश्वकर्मा को सृष्टि का निर्माण कर्ता एवं सृजन का देवता माना जाता है। इन्हें आज के समय के अनुसार सृष्टि का इंजिनियर, आर्किटेक्ट कहा जाता हैं। मान्यता है कि सोने की लंका का निर्माण उन्होंने ही किया था। विश्वकर्मा हस्तलिपि कलाकार थे, जिन्होंने हमें सभी कलाओं का ज्ञान दिया।
विश्वकर्मा पूजा की कथा:
पौराणिक युग में एक व्यापारी था, जिसकी एक पत्नी थी दोनों मेहनत करके जीवन व्यापन करते थे, लेकिन कितना भी करे सुख सुविधायें उनके नसीब में न थी। उनकी कोई संतान भी न थी, इसलिए दोनों दुखी रहते थे। तभी किसी सज्जन ने उन्हें विश्वकर्मा देव की शरण में जाने कहा। उन दोनों ने बात मानी और अमावस के दिन विश्वकर्मा देव की पूजा की व्रत का पालन किया। जिसके बाद उन्हें संतान भी प्राप्त हुआ और सभी ऐशों आराम भी मिले। इस प्रकार विश्वकर्मा देव की पूजा का महत्व मिलता हैं।
विश्वकर्मा जयंती पूजा विधि:
- इनकी प्रतिमा को विराजित कर इनकी पूजा की जाती हैं। इनके भिन्न- भिन्न चित्र पुराणों में उल्लेखित हैं।
- इस दिन इंजिनियर अपने कार्य स्थल, निर्माण स्थल (भूमि) की पूजा करते हैं।
- इस दिन मजदुर वर्ग अपने औजारों की पूजा करते हैं।
- उद्योगों में आज के दिन अवकाश रखा जाता हैं।
- बुनकर, बढ़ई सभी प्रकार के शिल्पी इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं।
- इस दिन कई जगहों पर यज्ञ किया जाता हैं।
सितम्बर माह के महत्वपूर्ण दिवस की सूची - (राष्ट्रीय दिवस एवं अंतराष्ट्रीय दिवस):
तिथि | दिवस का नाम - उत्सव का स्तर |
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02 सितम्बर | विश्व नारियल दिवस - अन्तरराष्ट्रीय दिवस |
05 सितम्बर | शिक्षक दिवस (डॉक्टर राधाकृष्ण जन्म दिवस) - राष्ट्रीय दिवस |
08 सितम्बर | विश्व साक्षरता दिवस - अन्तरराष्ट्रीय दिवस |
14 सितम्बर | विश्व बन्धुत्व और क्षमायाचना दिवस - अन्तरराष्ट्रीय दिवस |
14 सितम्बर | हिन्दी दिवस: भारत - राष्ट्रीय दिवस |
15 सितम्बर | अभियंता (इंजीनियर्स) दिवस - राष्ट्रीय दिवस |
16 सितम्बर | विश्व ओज़ोन परत संरक्षण दिवस - अन्तरराष्ट्रीय दिवस |
17 सितम्बर | विश्वकर्मा जयंती - राष्ट्रीय दिवस |
21 सितम्बर | अन्तरराष्ट्रीय शांति दिवस - अन्तरराष्ट्रीय दिवस |
26 सितम्बर | विश्व मूक बधिर दिवस - अन्तरराष्ट्रीय दिवस |
27 सितम्बर | विश्व पर्यटन दिवस - अन्तरराष्ट्रीय दिवस |
29 सितम्बर | विश्व हृदय दिवस - अन्तरराष्ट्रीय दिवस |