लाला हरदयाल का जीवन परिचय एवं उनसे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी

LALA HAR DAYAL BIOGRAPHY - BIRTH DATE, ACHIEVEMENTS, CAREER, FAMILY, AWARDS IN HINDI

इस अध्याय के माध्यम से हम जानेंगे लाला हरदयाल (Lala Har Dayal) से जुड़े महत्वपूर्ण एवं रोचक तथ्य जैसे उनकी व्यक्तिगत जानकारी, शिक्षा तथा करियर, उपलब्धि तथा सम्मानित पुरस्कार और भी अन्य जानकारियाँ। इस विषय में दिए गए लाला हरदयाल से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को एकत्रित किया गया है जिसे पढ़कर आपको प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में मदद मिलेगी। Lala Har Dayal Biography and Interesting Facts in Hindi.

लाला हरदयाल का संक्षिप्त सामान्य ज्ञान

नामलाला हरदयाल (Lala Har Dayal)
जन्म की तारीख14 अक्टूबर 1884
जन्म स्थानदिल्ली (भारत)
निधन तिथि04 मार्च 1939
माता व पिता का नामभोली रानी / लाला हरदयाल
उपलब्धि1913 - ग़दर पार्टी के संस्थापक
पेशा / देशपुरुष / स्वतंत्रता सेनानी / भारत

लाला हरदयाल - ग़दर पार्टी के संस्थापक (1913)

लाला हरदयाल जी एक प्रसिद्द भारतीय क्रांतिकारी थे। विदेशों में भटकते हुए अनेक कष्ट सहकर लाला हरदयाल जी ने देशभक्तों को भारत की आज़ादी के लिए प्रेरित व प्रोत्साहित किया था। उन्होंने अपने सरल जीवन और बौद्धिक कौशल के कारण प्रथम विश्व युद्ध के समय ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध लड़ने के लिए कनाडा और अमेरिका में रहने वाले अनेक भारतीय प्रवासीयो को प्रेरित किया था|

हर दयाल माथुर का जन्म 14 अक्टूबर 1884 को दिल्ली के चीराखाना मुहल्ले में एक हिंदू माथुर कायस्थ परिवार में हुआ था। इनका पूरा नाम लाला हर दयाल सिंह माथुर था| इनके पिता का नाम गौरीदयाल माथुर तथा माता का नाम भोली रानी था। इनके पिता एक जिला अदालत में पाठक के रूप में कार्यत करते थे| इनके माता की सात संतान थी अपने भाई बहनों में से ये से छठे थे।
लाला हरदयाल का निधन 4 मार्च 1939 (54 वर्ष की आयु) को फिलाडेल्फिया ,पेंसिल्वेनिया ,यू.एस. में हुआ था।
उन्होंने कैम्ब्रिज मिशन स्कूल में अध्ययन किया और सेंट स्टीफन कॉलेज, दिल्ली, भारत से संस्कृत में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और पंजाब विश्वविद्यालय से संस्कृत में अपनी मास्टर डिग्री भी प्राप्त की। 1905 में, उन्होंने संस्कृत में अपने उच्च अध्ययन के लिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की दो छात्रवृत्तियां प्राप्त कीं 1907 और कैसबर्ड प्रदर्शनीकर्ता, सेंट जॉन्स कॉलेज का एक पुरस्कार भी जीता, जहां वे अध्ययन कर रहे थे। अंततः वे 1908 में भारत लौट आए।
लाला हरदयाल जी ‘पंजाब" नामक अंग्रेज़ी पत्र के सम्पादक रहे थे। लाला जी के कालेज में मोहम्मद अल्लामा इक़बाल भी प्रोफेसर थे जो वहाँ दर्शनशास्त्र पढ़ाते थे। हरदयाल जी ने ग़दर पार्टी की स्थापना 25 जून, 1913 ई. में की गई थी। पार्टी का जन्म अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के ‘एस्टोरिया" में अंग्रेजी साम्राज्य को जड़ से उखाड़ फेंकने के उद्देश्य से हुआ था। हरदयाल जी ने पेरिस ने जाकर “वन्दे मातरम्” और “तलवार” नामक पत्रिका का संपादन किया था। लाला जी लाहौर में एम.ए. करने के दौरान ‘वाई एम् सी ए" के समानान्तर यंग मैन इण्डिया एसोसियेशन की स्थापना की थी। लाला जी को विश्व की तेरह भाषाओ का ज्ञान था। लाला जी हिन्दू तथा बौद्ध धर्म के प्रकाण्ड पण्डित थे। 1932 में, उन्होंने अपनी पुस्तक हिंस फ़ॉर सेल्फ कल्चर को प्रकाशित किया लाला लाजपत राय, जो हर दयाल के गुरु थे, ने उन्हें गौतम बुद्ध के सिद्धांतों पर आधारित एक प्रामाणिक पुस्तक लिखने का सुझाव दिया था। 1927 में जब हर दयाल को ब्रिटिश सरकार ने भारत लौटने की अनुमति नहीं दी, तो उन्होंने लंदन में रहने का फैसला किया। उन्होंने इस पुस्तक को लिखा और इसे एक थीसिस के रूप में विश्वविद्यालय को प्रस्तुत किया। पुस्तक को पीएचडी के लिए अनुमोदित किया गया था। और 1932 में उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की गई। इसे 1932 में लंदन से प्रकाशित किया गया था। भारत के मोतीलाल बनारसीदास पब्लिशर्स ने 1970 में बौद्ध संस्कृत साहित्य में बोधिसत्व सिद्धांतों के रूप में इस पुस्तक को फिर से प्रकाशित किया। स्वामी राम तीर्थ के अनुसार, लाला हर दयाल सबसे महान हिंदू थे जो अमेरिका आए थे, एक महान ऋषि और संत, जिनके जीवन ने उच्चतम आध्यात्मिकता को प्रतिबिंबित किया क्योंकि उनकी आत्मा ने ‘सार्वभौमिक आत्मा" के प्रेम को प्रतिबिंबित किया, जिसे उन्होंने महसूस करने की कोशिश की।
1987 में, भारत के डाक विभाग ने "भारत की आजादी के लिए संघर्ष" की श्रृंखला के भीतर उनके सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट जारी किया।
  Last update :  Tue 28 Jun 2022
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