भारत के प्रसिद्ध समाज सुधारकों का जीवन परिचय (Biography of Famous Social Reformers of India in Hindi): इस अध्याय में आप भारत के प्रसिद्ध समाज सुधारकों की जीवनी से संबंधित विषयों को पढ़ेंगे। उनके व्यक्तिगत जीवन के बारे में विस्तार से जनेगें, जैसे उनके जन्म से जुड़ी जानकारी, उनके प्रारम्भिक जीवन से जुड़ी जानकारी, उनके माता-पिता का नाम, प्रारम्भिक शिक्षा व उच्च स्तरीय शिक्षा, करियर, उपलब्धियां और उनको मिले राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार और सम्मान आदि के बारे में जनेगें।
भारत के प्रसिद्ध समाज सुधारक (17 LESSONS)
01-Jun-1842 - 09-Jan-1923 - सत्येन्द्र नाथ टैगोर इंडियन सिविल सर्विस (आईसीएस) की परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले प्रथम भारतीय थे। वह एक लेखक भी थे। सत्येन्द्र नाथ टैगोर का जन्म 01 जून 1842 को कलकत्ता में हुआ था। उनके पिता देवेन्द्रनाथ टैगोर और माता शारदा देवी थीं। उन्होंने घर पर ही संस्कृत और अंग्रेजी सीखी। वह 1857 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के प्रवेश परीक्षाओं में उपस्थित होने वाले छात्रों के पहले बैच का हिस्सा थे।
11-Sep-1895 - 15-Nov-1982 - आचार्य विनोबा भावे एक प्रसिद्ध भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी तथा गांधीवादी नेता थे। उन्हें भारत का राष्ट्रीय आध्यापक और महात्मा गांधी का आध्यातमिक उत्तराधीकारी समझा जाता है। वे जाने-माने समाज सुधारक एवं ‘भूदान यज्ञ' नामक आन्दोलन के संस्थापक थे। उन्होने अपने जीवन के आखरी वर्ष पोनार, महाराष्ट्र के आश्रम में गुजारे। उनकी रसायन विज्ञान में रुचि थी|
04-Sep-1825 - 30-Jun-1917 - दादा भाई नौरोजी एक महान स्वतंत्रता संग्रामी, शिक्षाविद , उद्योगपति और सामाजिक नेता थे। दादाभाई नौरोजी वर्ष 1850 में एलफिन्स्टन संस्थान में प्रोफेसर और ब्रिटिश सांसद बनने वाले पहले भारतीय थे। वे ‘ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया' और ‘भारतीय राष्ट्रवाद के पिता' के महान व्यक्तित्व से पहचाने जाते थे।
01-Oct-1847 - 20-Sep-1933 - डॉ. एनी बेसेंट एक प्रख्यात समाजसेवी, लेखिका, स्वतंत्रता सेनानी और प्रवक्ता थीं। वह आयरिश मूल की महिला थीं। भारत से गहरा लगाव रखने वाली एनी बेसेंट ने भारत को अपना दूसरा घर बना लिया था। एनी बेसेंट ने कई मौकों पर अन्याय का कड़ा प्रतिरोध करके ‘आयरन लेडी' की छवि बनाई थी।
03-Jul-1897 - 04-Apr-1995 - हंसा मेहता प्रसिद्ध समाजसेवी, स्वतंत्रता सेनानी तथा शिक्षाविद थीं। वे देश की संविधान परिषद की भी सदस्य थीं। वर्ष 1941 से 1958 ई० तक बडौदा विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर (कुलपति) के रूप में हंसा मेहता ने शिक्षा जगत में अपना नाम बनाया। वे भारत की पहली महिला वाइस चांसलर (कुलपति) थी।
09-Jun-1949 - डॉ॰ किरण बेदी भारतीय पुलिस सेवा की सेवानिवृत्त अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, भूतपूर्व टेनिस खिलाड़ी एवं राजनेता हैं। जुलाई 1972 में, वह भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हो गई, ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला बनी। किरण बेदी वर्तमान में पुडुचेरी की उप-राज्यपाल है। उन्होंने ‘इट्स ऑलवेज़ पॉसीबल' और ‘लीडर एंड गवर्नेंस' नाम की दो किताबें भी लिखी हैं।
26-Aug-1910 - 05-Sep-1997 - मदर टेरसा रोमन कैथोलिक नन थीं, जिन्होंने वर्ष 1948 में स्वेच्छा से भारतीय नागरिकता ले ली थी। उन्होंने 45 सालों तक गरीब, बीमार, अनाथ और मरते हुए लोगों की इन्होंने मदद की और साथ ही मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी के प्रसार का भी मार्ग प्रशस्त किया। इन्हें1979 में नोबेल शांति पुरस्कार और 19800 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया। मदर टेरसा की मृत्यु के बाद इन्हें पोप जॉन पॉल द्वितीय ने धन्य घोषित किया और इन्हें कोलकाता की धन्य की उपाधि प्रदान की।
22-Apr-18911960 - राधाबाई सुबारायन एक भारतीय राजनीतिज्ञ, महिला अधिकार कार्यकर्ता और सामाजिक सुधारक थी। उन्होंने अखिल भारतीय महिला सम्मेलन के सदस्य के रूप में भी काम किया। वर्ष 1938 में राधाबाई सुबारायन निर्विवाद राज्य परिषद के लिए चुनी गई और इस प्रकार वे भारत की पहली महिला सांसद बनी थी।
02-Feb-1887 - 06-Feb-1964 - अमृत कौर भारत की प्रथम महिला केंद्रीय मंत्री थी। वह देश की स्वतंत्रता के बाद भारतीय मंत्रिमण्डल में 10 साल तक स्वास्थ्य मंत्री रहीं। वे प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा सामाजिक कार्यकर्ता भी थीं। वे महात्मा गांधी की अनुयायी तथा 16 वर्ष तक उनकी सचिव भी रहीं। वे ट्यूबरक्यूलोसिस एसोसियेशन ऑव इंडिया तथा हिंद कुष्ट निवारण संघ की शुरुआत से अध्यक्षता रही थीं। वे एक प्रसिद्ध विदुषी महिला थीं।
03-Jan-1831 - 10-Mar-1897 - सावित्रीबाई फुले भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं मराठी कवयित्री थीं। उन्होंने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर स्त्रियों के अधिकारों के लिए बहुत से कार्य किए। सावित्रीबाई भारत के प्रथम कन्या विद्यालय में प्रथम महिला शिक्षिका थीं।
07-Apr-1932 - एक भारतीय सांसद और राष्ट्रीय महिला आयोग से जुड़ी सामाजिक कार्यकर्ता है। तथा वे राष्ट्रीय महिला आयोग की पहली अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। उनका कार्यकाल 3 फरवरी 1992 से 30 जनवरी 1995 तक रहा हैउनकी प्रारंभिक शिक्षा हरिहर हाई स्कूल, अस्का में हुयी। तत्पश्चात उन्होने उत्कल विश्वविद्यालय कटक से स्नातकोत्तर कला की पढ़ाई पूरी की।
30-Jul-1886 - 22-Jul-1968 - डॉक्टर मुथुलक्ष्मी रेड्डी को देश की पहली महिला विधायक के रूप में याद किया जाता है। मुथुलक्ष्मी लड़कों के स्कूल में दाखिला लेने वालीं देश की पहली महिला भी थीं। मुथु जीवन भर महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़तीं रहीं और देश की आज़ादी की लड़ाई में भी उन्होंने बढ़-चढ़कर सहयोग दिया। 1956 में उन्हें समाज के लिए किये गए अपने कार्यों के लिए पद्मभूषण से सम्मानित किया गया।
22-May-1772 - 27-Sep-1833 - राजा राममोहन राय को आधुनिक भारत का जनक कहा जाता है। वे ब्रह्म समाज के संस्थापक, भारतीय भाषायी प्रेस के प्रवर्तक, जनजागरण और सामाजिक सुधार आंदोलन के प्रणेता तथा बंगाल में नव-जागरण युग के पितामह थे। धार्मिक और सामाजिक विकास के क्षेत्र में राजा राममोहन राय का नाम सबसे अग्रणी है।
09-May-1866 - 19-Feb-1916 - गोपाल कृष्ण गोखले भारत के एक स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, विचारक एवं प्रसिद्ध समाज सुधारक थे। कृष्ण गोखले जी को वित्तीय मामलों की अपार समझ और उस पर अधिकारपूर्वक बहस करने की क्षमता से उन्हें भारत का 'ग्लेडस्टोन' कहा जाता है। इनका मानना था कि वैज्ञानिक और तकनीकी शिक्षा भारत की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। स्व-सरकार व्यक्ति की औसत चारित्रिक दृढ़ता और व्यक्तियों की क्षमता पर निर्भर करती है।
18-Jan-1842 - 16-Jan-1901 - महादेव गोविन्द रानाडे एक ब्रिटिश काल के भारतीय न्यायाधीश, लेखक एवं समाज-सुधारक थे। उन्हें “महाराष्ट्र का सुकरात” कहा जाता है। रानाडे ने समाज सुधार के कार्यों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था। प्रार्थना समाज, आर्य समाज और ब्रह्म समाज का इनके जीवन पर बहुत प्रभाव था।
12-Jan-1863 - 04-Jul-1902 - स्वामी विवेकानंद वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्द की वक्तृता के कारण ही पहुँचा था।
12-Feb-1824 - 30-Oct-1883 - महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती आधुनिक भारत के महान चिन्तक, समाज-सुधारक व देशभक्त थे। सरस्वती जी एक संन्यासी तथा एक महान चिंतक थे। उन्होंने वेदों की सत्ता को सदा सर्वोपरि माना था। इन्होने ही सबसे पहले 1876 में ‘स्वराज्य' का नारा दिया जिसे बाद में लोकमान्य तिलक ने आगे बढ़ाया था। उन्होंने वैदिक विचारधाराओं को पुनर्जीवित करने की दिशा में काम किया। इसके बाद, दार्शनिक और भारत के राष्ट्रपति एस. राधाकृष्णन ने उन्हें “आधुनिक भारत के निर्माता” में से एक कहा, जैसा कि श्री अरबिंदो ने किया था।