गुट निरपेक्ष आंदोलन शिखर सम्मेलनों की सूची 1961 से अब तक: (List of Non Aligned Movement Summits in Hindi)
गुट निरपेक्ष शिखर सम्मेलन क्या है?
गुट निरपेक्ष आंदोलन (NAM) राष्ट्रों की एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है। गुट निरपेक्ष शिखर सम्मेलन, संयुक्त राष्ट्र (United Nations Organisations) के बाद देशों की सबसे बड़ी सभा है। गुटनिरपेक्ष आंदोलन पुरे महाद्वीप भर में भागीदार देशों के साथ बातचीत के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है।
गुट निरपेक्ष शिखर सम्मेलन का इतिहास:
गुट निरपेक्ष शिखर सम्मेलन के अंतर्गत आने वाले सभी देशों ने निश्चय किया है, कि दुनिया के वे किसी भी पावर ब्लॉक के संग या विरोध में नहीं रहेंगे। यह आंदोलन भारत के प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति जमाल अब्देल नासेर (Gamal Abdel Nasser) एवं यूगोस्लाविया के राष्ट्रपति जोसिप ब्रोज़ टिटो (Josip Broz Tito) का आरंभ किया हुआ है। इसकी स्थापना साल 1961 में हुई थी। वर्ष 2012 तक गुट निरपेक्ष शिखर सम्मेलन के सदस्यों की संख्या 120 हो चुकी है। गुटनिरपेक्ष आंदोलन में अफ्रीका से 53, एशिया से 39, लैटिन अमेरिका और कैरेबियन से 26 और यूरोप (बेलारूस, अज़रबैजान) से 2 देश सदस्य हैं। 17 देश और 10 अंतर्राष्ट्रीय संगठन, गुट निरपेक्ष आंदोलन के पर्यवेक्षक रहे हैं।
गुट निरपेक्ष शिखर सम्मेलन में भारत की भूमिका:
भारत के पूर्व उप राष्ट्रपति श्री हामिद अंसारी (Mohammad Hamid Ansari) ने वेनेजुएला में मारग्रेटिया द्वीप पर आयोजित होने वाले गुट निरपेक्ष आंदोलन (NAM) के 17वें शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था। भारत गुट निरपेक्ष आंदोलन के संस्थापक सदस्यों में से एक है और भारत ने साल 1983 को नई दिल्ली में 7वें गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी।
गुट निरपेक्ष आंदोलन शिखर सम्मेलनों की सूची (1961 से अब तक):
दिनांक | स्थान (शहर व देश) | |
पहला | 01 से 06 सितम्बर 1961 | बेलग्रेड, यूगोस्लाविया |
दूसरा | 05 से 10 अक्टूबर 1964 | काइरो, संयुक्त अरब गणराज्य |
तीसरा | 08 से 10 सितम्बर 1970 | ल्यूसाका, जाम्बिया |
चौथा | 05 से 09 सितम्बर 1973 | आल्जियर्स, अल्जीरिया |
पाँचवा | 16 से 19 अगस्त 1976 | कोलंबो, श्री लंका |
छठा | 03 से 09 सितम्बर 1979 | हवाना, क्यूबा |
सातवाँ | 07 से 12 मार्च 1983 | नयी दिल्ली, भारत |
आठवाँ | 01 से 06 सितम्बर 1986 | हरारे, जिम्बाब्वे |
नौवाँ | 04 से 07 सितम्बर 1989 | बेलग्रेड, यूगोस्लाविया |
दसवां | 01 से 06 सितम्बर 1992 | जकार्ता, इंडोनेशिया |
ग्यारहवाँ | 18 से 20 अक्टूबर 1995 | कार्टेजीना दे इंडियास, कोलम्बिया |
बारहवाँ | 02 से 03 सितम्बर 1998 | डर्बन, दक्षिण अफ्रीका |
तेरहवाँ | 20 से 25 फरवरी 2003 | कुआला लंपुर, मलेशिया |
चौदहवाँ | 15 से 16 सितम्बर 2006 | हवाना, क्यूबा |
पंद्रहवाँ | 11 से 16 जुलाई 2009 | शर्म एल शीक, मिस्र |
सोलहवाँ | 26 से 31 अगस्त 2012 | तेहरान, ईरान |
सत्रहवाँ | 13 से 18 सितम्बर 2016 | कराकस, वेनेजुएला |
अठारहवाँ | 25 से 26 अक्टूबर 2019 | अज़रबैजान |
उन्नीसवाँ | वर्ष 2023 के अंत में | युगांडा |
- वर्ष 2020 में आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से "कोविड-19 के खिलाफ संयुक्त" पर आभासी गुट निरपेक्ष आंदोलन (NAM) संपर्क समूह शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था।
- इसके अलावा 30 राष्ट्राध्यक्ष और अन्य नेता शिखर सम्मेलन में शामिल हुए थे। शिखर सम्मेलन को संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख ने भी संबोधित किया। यह पहली बार था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में पद संभालने के बाद से NAM शिखर सम्मेलन में भाग लिया था।
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प्रश्नोत्तर (FAQs):
एस भंडारनायके गुटनिरपेक्ष आंदोलन की पहली महिला अध्यक्ष थीं। सिरिमावो भंडारनायके एक प्रसिद्ध श्रीलंकाई राजनीतिज्ञ और आधुनिक दुनिया की पहली महिला प्रधान मंत्री थीं। वह श्रीलंका की फ्रीडम पार्टी की नेता थीं।
गुटनिरपेक्ष आंदोलन की शुरुआत यूगोस्लाविया के जोसेफ ब्रैश टीटो, भारत के प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू और मिस्र के गमाल अब्दुल नासिर की दोस्ती से मानी जाती है। वर्ष 1956 में इन तीनों देशों द्वारा एक सफल बैठक का आयोजन किया गया।
गुटनिरपेक्षता का मूलतः अर्थ सत्ता गुटों के प्रति तटस्थता है। गुटनिरपेक्ष आंदोलन की स्थापना 1961 में हुई थी और इसका पहला सम्मेलन बेलग्रेड में आयोजित किया गया था।
गुटनिरपेक्ष आंदोलन का पहला सम्मेलन वर्ष 1961 में बेलग्रेड (यूगोस्लाविया) में आयोजित किया गया था, जिसमें विश्व के 25 देशों ने भाग लिया था। वर्तमान में विश्व के 120 देश इस समूह के सक्रिय सदस्य हैं।
भारत गुटनिरपेक्षता की नीति का पालन करता है, जिसका अर्थ है कि वह तटस्थता बनाए रखता है और किसी भी सैन्य गठबंधन या गुट के साथ जुड़ने से बचता है। गुटनिरपेक्षता एक विदेश नीति दृष्टिकोण है जहां एक देश अंतरराष्ट्रीय संबंधों में अपनी स्वतंत्रता, संप्रभुता और स्वायत्तता पर जोर देता है।