स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय क्रांतिकारियो द्वारा दिए गए प्रमुख वचन एवं नारे
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में नारों की विशेष भूमिका है। स्वतंत्रता के लिए बोले गए हर नारे ने भारतीय क्रांतिकारियों में जान फूंक दी कि हर नारा अंग्रेजों के ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय क्रांतिकारियो द्वारा दिए गए इन नारों ने देश की जनता को भारत माता की आजादी के संघर्ष के लिए एक बड़ी प्रेरणा दी। ये नारे ऐसे थे जिन्होंने सभी भारतीय क्रांतिकारियो के अन्दर देशभक्ति की भावना को जगा दिया था, जिसके फलस्वरूप देश को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त हुई।
यहां पर भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय के कुछ ऐसे ही नारों और वचनों की सूची दी गई हैं। सामान्यतः इन नारों और वचनों से सम्बंधित प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते है। यदि आप विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे: आईएएस, शिक्षक, यूपीएससी, पीसीएस, एसएससी, बैंक, एमबीए एवं अन्य सरकारी नौकरियों के लिए तैयारी कर रहे हैं, तो आपको भारत में स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा दिए गये नारों के बारे में अवश्य पता होना चाहिए।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख वचन और नारो की सूची:
संबंधित व्यक्ति का नाम | प्रमुख नारे एवं वचन |
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद | मुसलमान मूर्ख थे, जो उन्होंने सुरक्षा की मांग की और हिंदू उनसे भी मूर्ख थे, जो उन्होंने उस मांग को ठुकरा दिया। |
चंद्रशेखर आजाद | दुशमन की गोलियों का हम सामना करेंगे, आज़ाद ही रहे है, आजाद ही रहेंगे। |
जयप्रकाश नारायण | सम्पूर्ण क्रांति। |
डॉ० मुरली मनोहर जोशी | कश्मीर चलो। |
दयानंद सरस्वती | वेदों की ओर लौटो। |
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस | "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आज़ादी दूँगा", "जय हिन्द", "दिल्ली चलो"। |
पंडित जवाहरलाल नेहरू | पूर्ण स्वराज, आराम हराम है, हू लिव्स इंडिया डाइज। |
पंडित मदन मोहन मालवीय | सत्यमेव जयते। |
पी. वी. नरसिम्हा राव | देश बचाओ, देश बनाओ। |
बंकिमचंद्र चटर्जी | वन्देमातरम्। |
बाल गंगाधर तिलक | स्वराज हमारा जन्म - सिद्ध अधिकार है। |
बिनोवा भावे | जय जगत। |
भारतेन्दु हरिश्चंद्र | स्वदेशी अपनाओ, हिन्दी, हिन्दू, हिन्दोस्तांन। |
मंगल पांडे | मारो फिरंगी को। |
मदनलाल धींगरा | देश की पूजा ही राम की पूजा है। |
महर्षी दयानंद सरस्वती | वेदों की ओर लौटो। |
महात्मा गाँधी | हे राम, अंग्रेजो भारत छोड़ो, करो या मरो। |
मोहम्मद इकबाल | सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्तां हमारा। |
रवीन्द्रनाथ टैगोर | जन-गण-मन अधिनायक जय हे। |
राम प्रसाद बिस्मिल | सरफ़रोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजु-ए- कातिल में है। |
लाल बहादुर शास्त्री | जय जवान, जय किसान। |
लाला लाजपत राय | साइमन कमीशन वापस जाओ। |
श्यामलाल गुप्ता | विजयी विश्व तिरंगा प्यारा। |
श्रीमती इंदिरा गाँधी | श्रमेव जयते। |
संजय गाँधी | काम अधिक बातें कम। |
सरदार बल्लभ भाई पटेल | कर मत दो। |
सरदार भगत सिंह | इन्कलाब जिन्दाबाद, साम्राज्यवाद का नाश हो। |
अब संबंधित प्रश्नों का अभ्यास करें और देखें कि आपने क्या सीखा?
☞ स्वतंत्रता सेनानियों के नारों से संबंधित प्रश्न उत्तर 🔗
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वचन एवं नारे प्रश्नोत्तर (FAQs):
"जय हिंद" का नारा भारतीय स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने दिया था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण नेताओं में से एक थे और उन्होंने "जय हिंद" को एक प्रभावशाली नारा बनाया जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लिए लोकप्रिय हुआ।
मंगल पाण्डे ने 1857 की क्रांति के समय मारो फिरंगी का नारा दिया था। यह नारा ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोही सेनानियों और भारतीय स्वतंत्रता के अग्रदूतों द्वारा उठाया गया था। इस नारे ने विद्रोही सेनानियों के जोश और उत्साह को बढ़ाया और भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
राम प्रसाद बिस्मिल ने सरफरोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है, देखना है कितना जोर कितना बाजू-ए-कातिल में है का नारा दिया. इस नारे के माध्यम से राम प्रसाद बिस्मिल ने युवाओं में जोश भर दिया और उन्हें देशभक्ति और वीरता के लिए प्रेरित किया। यह नारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की धाराओं में एक प्रसिद्ध सांगठनिक नारा बन गया है।
करो या मरो का नारा महात्मा गांधी ने 1942 ई. में दिया था। यह आंदोलन गांधीजी द्वारा चलाया गया था और इसका उद्देश्य अंग्रेजी शासन के खिलाफ विरोध करना और स्वतंत्रता की मांग को दृढ़ता से व्यक्त करना था।
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान आजाद हिन्द फौज ने जापानी सेना की मदद से भारत पर आक्रमण किया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अपने दलबदलुओं को प्रेरित करने के लिए "दिल्ली चलो" का नारा दिया।