भारतीय राज्यों के राजकीय पुष्पों की सूची: 

यहाँ पर भारत के राष्ट्रीय पुष्प सहित 28 भारतीय राज्यों के राज्य पुष्पों का परिचय दिया गया है। शेष राज्यों और सभी केन्द्रशासित प्रदेशों ने अभी तक अपने राज्य पुष्प घोषित नहीं किए हैं। भारत में राष्ट्रीय पुष्प कमल सहित 17 ऐसे फूल हैं, जिन्हेें राजकीय सम्मान प्राप्त है। कमल को राष्ट्रीय पुष्प होने के साथ ही उड़ीसा, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर और हरियाणा का राज्य पुष्प होने का भी गौरव प्राप्त है। इसके साथ तीन ऐसे फूल हैं, जिन्हें दो-दो राज्यों ने अपना राज्य पुष्प माना है। ये पुष्प हैं—लेडी स्लिपर आर्किड, ब्रह्मकमल और बुरांश। लेडी स्लिपर आर्किड अरुणाचल प्रदेश और मेघालय का, ब्रह्मकमल उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का तथा बुरांश नागालैंड और हिमाचल प्रदेश का राज्य पुष्प है।

इनमें उत्तर प्रदेश का राज्य पुष्प ब्रह्मकमल एवं उत्तराखंड का राज्य पुष्प ब्रह्मकमल दोनों एक ही फूल हैं। इसी प्रकार नागालैंड का राज्य पुष्प बुरांश तथा हिमाचल प्रदेश का राज्य पुष्प बुरांश दोनों एक ही हैं। किन्तु अरुणाचल प्रदेश का राज्य पुष्प लेडी स्लिपर आर्किड और मेघालय का राज्य पुष्प लेडी स्लिपर आर्किड दोनों अलग-अलग फूल हैं। अरुणाचल प्रदेश के राज्य पुष्प लेडी स्लिपर आर्किड का वैज्ञानिक नाम पैफिओपैडिलम फैरिएनम है एवं मेघालय के राज्य पुष्प लेडी स्लिपर आर्किड का वैज्ञानिक नाम पैफिओपैडिलम इन्सिग्ने है। ये दोनों फूल एक ही वंश के हैं, किन्तु दोनों में बहुत-सी असमानताएँ पाई जाती हैं।

भारत के पुष्प: पुष्प को मनुष्य के द्वारा सजावट और औषधि के लिए उपयोग में लाया जाता है। इसके अलावा घरों और कार्यालयों को सजाने में भी इनका उपयोग बहुतायत से होता है। भारत में पुष्प की खेती एक लंबे अरसे से होती रही है, लेकिन आर्थिक रूप से लाभदायक एक व्यवसाय के रूप में पुष्पों का उत्पादन पिछले कुछ सालों से ही प्रारंभ हुआ है। समकालिक पुष्प जैसे गुलाब, कमल ग्लैडियोलस, रजनीगंधा, कार्नेशन आदि के बढ़ते उत्पादन के कारण गुलदस्ते और उपहारों के स्वरूप देने में इनका उपयोग काफ़ी बढ़ा है।

मध्यम वर्ग के जीवनस्तर में सुधार और आर्थिक संपन्नता के कारण पुष्प बाज़ार के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया और फूलों की खेती को एक विशाल बाज़ार का स्वरूप प्रदान कर दिया है। भारत ने पुष्प उत्पादन में उल्लेखनीय प्रगति की है। देश के लगभग 1.14 लाख हेक्टेयर भूमि पर पुष्प कृषि की जाती है। देश में 6,70,000 मैट्रिक टन फूलों का उत्पादन होता है इसके अलावा 13,009.3 मिलियन काटे गए फूलों का उत्पादन होता है।

भारत के राज्यकीय पुष्पों की सूची:

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  Last update :  Sat 18 Mar 2023
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राज्य
भारतीय राज्यों के नाम  राजकीय पुष्प का नाम पुष्प का वैज्ञानिक नाम
आंध्र प्रदेश नीलकमल (Water lily) निम्फ़ेसिए (Nymphaeaceae)
नीलकमल एक प्रकार का कमल है जिसका फूल नीलापन लिए हुए होत है। यह एशिया के दक्षिणी और पूर्वी भाग का देशज पादप है तथा श्री लंका एवं बांग्लादेश का राष्ट्रीय पुष्प है। कभी-कभी मिस्र में पाए जाने वाले नीले कमल (Nymphaea caerulea) को भी इस प्रजाति के अन्तर्गत माना जाता है।
अरुणाचल प्रदेश द्रौपदी माला (Foxtail Orchid) राइनोकोस्टीलिस रेटुसा (Rhynchostylis retusa)
राइनोकोस्टीलिस आर्किड परिवार (ऑर्किडेसि) में एक जीनस है, जो बारीकी से जीनस वांडा (जिससे यह फूल के एक-पैर वाले होंठ में भिन्न होता है) से संबद्ध होता है फूल घने रेस में पैदा होते हैं और उनकी तीव्र, मसालेदार खुशबू के लिए प्रसिद्ध हैं। हालांकि स्यूडोबुल में कमी होने पर, पौधों में चमड़े के पत्ते होते हैं जो सूखा प्रतिरोधी होते हैं।
असम द्रौपदी माला (Foxtail Orchid) राइनोकोस्टीलिस रेटुसा (Rhynchostylis retusa)
राइनोकोस्टीलिस आर्किड परिवार (ऑर्किडेसि) में एक जीनस है, जो बारीकी से जीनस वांडा (जिससे यह फूल के एक-पैर वाले होंठ में भिन्न होता है) से संबद्ध होता है फूल घने रेस में पैदा होते हैं और उनकी तीव्र, मसालेदार खुशबू के लिए प्रसिद्ध हैं। हालांकि स्यूडोबुल में कमी होने पर, पौधों में चमड़े के पत्ते होते हैं जो सूखा प्रतिरोधी होते हैं।
बिहार कचनार (Orchid Tree) बहिनिया अकुमिनेटा (Bauhinia variegata)
कचनार एक सुंदर फूलों वाला वृक्ष है। कचनार के छोटे अथवा मध्यम ऊँचाई के वृक्ष भारतवर्ष में सर्वत्र होते हैं। लेग्यूमिनोसी (Leguminosae) कुल और सीज़लपिनिआयडी (Caesalpinioideae) उपकुल के अंतर्गत बॉहिनिया प्रजाति की समान, परंतु किंचित्‌ भिन्न, दो वृक्षजातियों को यह नाम दिया जाता है, जिन्हें बॉहिनिया वैरीगेटा (Bauhinia variegata) और बॉहिनिया परप्यूरिया (Bauhinia purpurea) कहते हैं।
छत्तीसगढ लेडीज़ स्लीपर (Lady's Slipper) ऑर्किडेसिया (Orchidaceae)
Cypripedioideae ऑर्किड का एक उपपरिवार है जिसे आमतौर पर लेडीज़ स्लीपर ऑर्किड, लेडी स्लीपर ऑर्किड या स्लिपर ऑर्किड के रूप में जाना जाता है। अधिकांश प्रजातियों में प्रकंद और रेशेदार जड़ें होती हैं।
गोवा लाल चमेली (Red Jasmine) प्लमेरिया रूरा (Plumeria rubra)
प्लुमेरिया रूब्रा जीनस प्लुमेरिया से संबंधित एक पर्णपाती पौधे की प्रजाति है। मूल रूप से मैक्सिको, मध्य अमेरिका, कोलम्बिया और वेनेजुएला के मूल निवासी, यह व्यापक रूप से उपोष्णकटिबंधीय और उष्णकटिबंधीय जलवायु में दुनिया भर में खेती की गई है
गुजरात अफ्रीकी मैरीगोल्ड (African Marigold) टैगेट इरेक्टा (Tagetes erecta)
टैगेट्स इरेक्टा, मैक्सिकन मैरीगोल्ड या एज़्टेक मैरीगोल्ड, मैक्सिको के मूल निवासी टैगेटेस की एक प्रजाति है। अमेरिका के मूल निवासी होने के बावजूद, इसे अक्सर अफ्रीकी मैरीगोल्ड कहा जाता है। मेक्सिको में, यह पौधा जंगली जानवरों में मेक्सीको, मिचोआकेन, प्यूब्ला और वेराक्रूज़ में पाया जाता है।
हरियाणा कमल (Lotus) नेलुम्बो नुसिफेरा (Nelumbo nucifera)
नेलुम्बो न्यूसीफेरा, जिसे भारतीय कमल, पवित्र कमल या बस कमल के रूप में भी जाना जाता है, परिवार नेलुम्बोनेसिया में जलीय पौधे की दो विलुप्त प्रजातियों में से एक है। इसे अक्सर बोलचाल की भाषा में वाटर लिली कहा जाता है।
हिमाचल प्रदेश बुरांस या बुरुंश (Pink rhododendron) रोडोडेंड्रॉन (Rhododendron)
बुरांस या बुरुंश (रोडोडेंड्रॉन / Rhododendron) सुन्दर फूलों वाला एक वृक्ष है। बुरांस का पेड़ उत्तराखंड का राज्य वृक्ष है, तथा नेपाल में बुरांस के फूल को राष्ट्रीय फूल घोषित किया गया है। गर्मियों के दिनों में ऊंची पहाड़ियों पर खिलने वाले बुरांस के सूर्ख फूलों से पहाड़ियां भर जाती हैं। हिमाचल प्रदेश में भी यह पैदा होता है।
झारखंड पलाश (Palash) बुटा मोनोसपर्मा (Butea monosperma)
पलाश (पलास,छूल,परसा, ढाक, टेसू, किंशुक, केसू) एक वृक्ष है जिसके फूल बहुत ही आकर्षक होते हैं। इसके आकर्षक फूलो के कारण इसे "जंगल की आग" भी कहा जाता है। पलाश का फूल उत्तर प्रदेश का राज्य पुष्प है और इसको 'भारतीय डाकतार विभाग' द्वारा डाक टिकट पर प्रकाशित कर सम्मानित किया जा चुका है।प्राचीन काल से ही होली के रंग इसके फूलो से तैयार किये जाते रहे है।
कर्नाटक कमल (Lotus) नीलंबियन न्यूसिफ़ेरा (Nelumbian nucifera)
कमलवनस्पति जगत का एक पौधा है जिसमें बड़े और सुन्दर फूल खिलते हैं। यह भारत का राष्ट्रीय पुष्प है। संस्कृत में इसके नाम हैं - कमल, पद्म, पंकज, पंकरुह, सरसिज, सरोज, सरोरुह, सरसीरुह, जलज, जलजात, नीरज, वारिज, अंभोरुह, अंबुज, अंभोज, अब्ज, अरविंद, नलिन, उत्पल, पुंडरीक, तामरस, इंदीवर, कुवलय, वनज आदि। कमल का पौधा (कमलिनी, नलिनी, पद्मिनी) पानी में ही उत्पन्न होता है और भारत के सभी उष्ण भागों में तथा ईरान से लेकर आस्ट्रेलिया तक पाया जाता है।
केरल अमलतास (Golden shower tree) कैसिया फिस्टुला (Cassia fistula)
अमलतास को संस्कृत में व्याधिघात, नृप्रद्रुम, आरग्वध, कर्णिकार इत्यादि, मराठी में बहावा, कर्णिकार गुजराती में गरमाष्ठो, बँगला में सोनालू तथा लैटिन में कैसिया फ़िस्चुला कहते हैं। शब्दसागर के अनुसार हिंदी शब्द अमलतास संस्कृत अम्ल (खट्टा) से निकला है। आयुर्वेद में इस वृक्ष के सब भाग औषधि के काम में आते हैं। कहा गया है, इसके पत्ते मल को ढीला और कफ को दूर करते हैं। फूल कफ और पित्त को नष्ट करते हैं।
मध्य प्रदेश पलाश (Palash) बुटा मोनोसपर्मा (Butea monosperma)
पलाश (पलास,छूल,परसा, ढाक, टेसू, किंशुक, केसू) एक वृक्ष है जिसके फूल बहुत ही आकर्षक होते हैं। इसके आकर्षक फूलो के कारण इसे "जंगल की आग" भी कहा जाता है। पलाश का फूल उत्तर प्रदेश का राज्य पुष्प है और इसको 'भारतीय डाकतार विभाग' द्वारा डाक टिकट पर प्रकाशित कर सम्मानित किया जा चुका है।प्राचीन काल से ही होली के रंग इसके फूलो से तैयार किये जाते रहे है।
महाराष्ट्र जरुल (Jarul) लेगरस्ट्रोमिया स्पेकिओसा (Lagerstroemia speciosa)
जरुल भारत एवं दक्षिण एशीया मे पाये जाने वाला एक प्रकार का फ़ूल है। जीनस लेग्रोस्टेमिया को सबसे पहले कार्ल लिनिअस द्वारा वर्णित किया गया था।
मणिपुर सिरोई लिली (Siroi lily) सिरोय कुमुदिनी (Lilium mackliniae)
लिलियम मैकेलिनिया, शिरुई लिली या शिरुई लिली, एक दुर्लभ भारतीय प्रजाति का पौधा है, जो केवल भारत के मणिपुर के उखरूल जिले में शिरुई पहाड़ी श्रेणियों की ऊपरी पहुंच में पाया जाता है।
मेघालय लेडीज़ स्लीपर (Lady's Slipper) ऑर्किडेसिया (Orchidaceae)
Cypripedioideae ऑर्किड का एक उपपरिवार है जिसे आमतौर पर लेडीज़ स्लीपर ऑर्किड, लेडी स्लीपर ऑर्किड या स्लिपर ऑर्किड के रूप में जाना जाता है। अधिकांश प्रजातियों में प्रकंद और रेशेदार जड़ें होती हैं।
मिजोरम लाल वांडा (Red Vanda) रेनन्थेरा इंस्छूटिना (Renanthera imschootiana)
रेनेथेरा इस्चूटियाना, जिसे रेड वांडा के नाम से भी जाना जाता है, पूर्वी हिमालय से चीन (दक्षिण-पूर्वी युन्नान) और वियतनाम तक फैली ऑर्किड की एक प्रजाति है।
नागालैंड बुरांस या बुरुंश (Pink rhododendron) रोडोडेंड्रॉन (Rhododendron)
बुरांस या बुरुंश (रोडोडेंड्रॉन / Rhododendron) सुन्दर फूलों वाला एक वृक्ष है। बुरांस का पेड़ उत्तराखंड का राज्य वृक्ष है, तथा नेपाल में बुरांस के फूल को राष्ट्रीय फूल घोषित किया गया है। गर्मियों के दिनों में ऊंची पहाड़ियों पर खिलने वाले बुरांस के सूर्ख फूलों से पहाड़ियां भर जाती हैं। हिमाचल प्रदेश में भी यह पैदा होता है।
ओडिशा अशोक वृक्ष (Ashoka) सराका-इंडिका (Saraca Indica)
अशोक को बंगला में अस्पाल, मराठी में अशोक, गुजराती में आसोपालव तथा देशी पीला फूलनों, सिंहली में होगाश तथा लैटिन में जोनेशिया अशोका (Jonasia Ashoka) अथवा सराका-इंडिका (Saraca Indica) कहते हैं। अशोक का पेड़ 28 से 30 फुट तक ऊँचा होता है।
पंजाब ग्लैडियोलस (Gladiolus) ग्लैडियोलस ग्रैन्डिफ्लोरस (Gladiolus grandiflorus)
ग्लेडियोलस आईरिस परिवार (इरिडासी) में बारहमासी शंकुधारी फूलों के पौधों का एक समूह है। इसे कभी-कभी 'स्वोर्ड लिली' भी कहा जाता है, लेकिन आमतौर पर इसे इसके सामान्य नाम (बहुवचन हैप्पीली) के नाम से पुकारा जाता है।
राजस्थान रोहेड़ा (Rohira) टेकोमेला (Tecomella)
रोहिड़ा या टेकोमेला उण्डुलता राजस्थान का राजकीय पुष्प (1983 में घोषित) है। यह मुख्यतः राजस्थान के थार मरुस्थल और पाकिस्तान मे पाया जाता है। रोहिड़ा का वृक्ष राजस्थान के शेखावटी व मारवाड़ अंचल में इमारती लकड़ी का मुख्य स्रोत है। यह मारवाड़ टीक के नाम से भी जाना जाता है। शुष्क व अर्ध शुष्क क्षेत्रों में पाया जाने वाला यह वृक्ष पतझड़ी प्रकार का है। रेत के धोरों के स्थिरीकरण के लिए यह वृक्ष बहुत उपयोगी है।
सिक्किम येरूम लेयी (Noble orchid) क्यंबीड़िउम गोएरिंगी (Cymbidium goeringii)
यह जापान, चीन, ताइवान और दक्षिण कोरिया सहित पूर्वी एशिया के समशीतोष्ण स्थानों में पाया जाता है। जापान में इस प्रकार का नमूना एकत्र किया गया था।
तमिलनाडु करी हरी (Glory lily) ग्लोरियोसा सुपरबा (Gloriosa superba)
करी हरी  Colchicaceae में 12 प्रजातियों में से एक है। यह उष्णकटिबंधीय और दक्षिणी अफ्रीका से एशिया में पाया जाता हैं, और साथ ही इसकी बड़े स्तर पर खेती की जा रही है। सबसे आम अंग्रेजी नाम लौ लिली, फायर लिली, ग्लोरियोसा लिली, महिमा लिली, शानदार लिली, लिली पर चढ़ना और रेंगना लिली हैं।
तेलंगाना रनवारा (Ranawara) सेना अर्किलाटा (Senna auriculata)
सेना अविकुलाटा उपफैमिली कैसालपिनियोइडी में एक फलदार वृक्ष है। इसे आमतौर पर इसके स्थानीय नामों मटुरा चाय के पेड़, अवराम या रैनवारा, या अंग्रेजी संस्करण अवराम सेना द्वारा जाना जाता है। यह तेलंगाना का राज्य पुष्प है। यह भारत और श्रीलंका के शुष्क क्षेत्रों में होता है। यह समुद्री तट और श्रीलंका में शुष्क क्षेत्र के साथ आम है।
त्रिपुरा नाग केसर (Nag Kesar) मेसुआ फेरी (Mesua ferrea)
नागकेसर या नागचम्पा एक सीधा सदाबहार वृक्ष है जो देखने में बहुत सुंदर होता है। यह द्विदल अंगुर से उत्पन्न होता है। पत्तियाँ इसकी बहुत पतली और घनी होती हैं, जिससे इसके नीचे बहुत अच्छी छाया रहती है। इसमें चार दलों के बडे़ और सफेद फूल गरमियों में लगते हैं जिनमें बहुत अच्छी महक होती है।
उत्तर प्रदेश पलाश (Palash) बुटा मोनोसपर्मा (Butea monosperma)
पलाश (पलास,छूल,परसा, ढाक, टेसू, किंशुक, केसू) एक वृक्ष है जिसके फूल बहुत ही आकर्षक होते हैं। इसके आकर्षक फूलो के कारण इसे "जंगल की आग" भी कहा जाता है। पलाश का फूल उत्तर प्रदेश का राज्य पुष्प है और इसको 'भारतीय डाकतार विभाग' द्वारा डाक टिकट पर प्रकाशित कर सम्मानित किया जा चुका है।प्राचीन काल से ही होली के रंग इसके फूलो से तैयार किये जाते रहे है।
उत्तराखंड ब्रह्म कमल (Brahma Kamal) सौसरिया ओब्लाटा (Saussurea obvallata)
ब्रह्म कमल एस्टेरेसी कुल का पौधा है। सूर्यमुखी, गेंदा, डहलिया, कुसुम एवं भृंगराज इस कुल के अन्य प्रमुख पौधे हैं। भारत में Epiphyllum oxypetalum को भी 'ब्रह्म कमल' कहते हैं। यह हिमालय की वादियों में खिलता है। फिलहाल इसकी 1 तस्वीर भारत तिब्बत सीमा पुलिस ने जारी की है। यह 14 साल में खिलता है। यह सिर्फ रात में खुलता है और सुबह होते ही इसका फूल बंद हो जाता है।
पश्चिम बंगाल प्राजक्ता (Shephali) निकन्तांशी आर्बर-ट्रिस्टिस (Nyctanthes arbor-tristis)
प्राजक्ता एक पुष्प देने वाला वृक्ष है। इसे हरसिंगार, शेफाली, शिउली आदि नामो से भी जाना जाता है। इसका वृक्ष 10 से 15 फीट ऊँचा होता है।[1] इसका वानस्पतिक नाम 'निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस' है। पारिजात पर सुन्दर व सुगन्धित फूल लगते हैं। इसके फूल, पत्ते और छाल का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। यह पूरे भारत में पैदा होता है। यह पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प है।
केंद्र शासित प्रदेश
अंडमान व नोकोबार द्वीप समूह अंडमान जरुल (Andaman Pyinma) लेगरस्ट्रोइमिया हाइपोलुका (Lagerstroemia hypoleuca)
जरुल भारत एवं दक्षिण एशीया मे पाये जाने वाला एक प्रकार का फ़ूल है।
चंडीगढ़ पलाश (Palash) बुटा मोनोसपर्मा (Butea monosperma)
पलाश (पलास,छूल,परसा, ढाक, टेसू, किंशुक, केसू) एक वृक्ष है जिसके फूल बहुत ही आकर्षक होते हैं। इसके आकर्षक फूलो के कारण इसे "जंगल की आग" भी कहा जाता है। पलाश का फूल उत्तर प्रदेश का राज्य पुष्प है और इसको 'भारतीय डाकतार विभाग' द्वारा डाक टिकट पर प्रकाशित कर सम्मानित किया जा चुका है।प्राचीन काल से ही होली के रंग इसके फूलो से तैयार किये जाते रहे है।
दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव अभी तक नामित नहीं किया गया है
दिल्ली रिज़का या अल्फाल्फा (Alfalfa) मेडिकोगो सतीवा (Medicago sativa)
रिज़का या अल्फाल्फा मटर परिवार फबासिए का फूल देने वाला एक पौधा है जिसकी खेती एक महत्वपूर्ण चारे के फसल के रूप में की जाती है। यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड में लुसर्न के रूप में जाना जाता है और दक्षिण एशिया में लुसर्न घास के रूप में. यह तिपतिया के समरूप दिखता है तथा छोटे बैंगनी रंग के फूल इस पर लगते हैं।
जम्मू और कश्मीर आम रोडोडेंड्रोन (Common rhododendron) रोडोडेंड्रोन पोन्टिकम (Rhododendron ponticum)
रोडोडेंड्रोन पोन्टिकम, जिसे आम रोडोडेंड्रोन या पॉन्टिक रोडोडेंड्रोन कहा जाता है, दक्षिण-पश्चिम यूरोप में इबेरियन प्रायद्वीप और उत्तरी पश्चिम एशिया में काकेशस क्षेत्र के मूल निवासी रोडोडेंड्रोन की एक प्रजाति है।
लद्दाख अभी तक नामित नहीं किया गया है
लक्षद्वीप नीलकुरिंजी (Neelakurinji) स्ट्रोबिलैंथ्स कुंथियाना (Strobilanthes kunthiana)
नीलकुरिंजी या कुरिंजी दक्षिण भारत के पश्चिम घाट के 1800 मीटर से ऊंचे शोला घास के मैदानों में बहुतायत से उगने वाला एक पौधा होता है। नीलगिरी पर्वत को अपना नाम इन्हीं नीले कुरंजी के पुष्पों से आच्छादित होने के कारण नाम मिला। यह पौधा १२ वर्षों में एक बार ही फूल देता है। इस से ही पालियन लोग इस पौधे की आयु का अनुमान लगाते हैं।
पुदुचेरी काननोनबल पेड़ का फूल (Cannonball tree flower) कौरौपिटा गियानेंसिस (Couroupita guianensis)
कौरौपीटा गियानेंसिस, जिसे विभिन्न प्रकार के आम नामों से जाना जाता है, जिसमें कैनोबलबॉल ट्री शामिल हैं, फूल पौधे के परिवार लेसीथैडेसी में एक पर्णपाती पेड़ है। यह मध्य और दक्षिण अमेरिका के उष्णकटिबंधीय जंगलों का मूल निवासी है, और इसकी सुंदर, सुगंधित फूलों और बड़े, दिलचस्प फलों की वजह से दुनिया भर में कई अन्य उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में इसकी खेती की जाती है। फल भूरे भूरे रंग के होते हैं।