भारतीय राज्यों के आधिकारिक राजकीय वृक्षों/पेडों की सूची:

यहाँ पर भारत का राष्ट्रीय वृक्ष और राज्यों के राजकीय वृक्ष के बारे में जानकारी दी गयी है। बरगद भारत का राष्ट्रीय वृक्ष है। बरगद का पेड़ अपनी हमेशा फैलते रहने वाली शाखाओं के कारण अमरता का प्रतीक है। भारत की एकता इस पेड़ के विशाल और गहरी जड़ों से प्रतिबिंबित होती है। इस पेड़ को कल्पवृक्ष भी कहा जाता है जिसका अर्थ इच्छाएं पूरी करने वाला वृक्ष होता है। बरगद के पेड़ में अपार औषधीय गुण होते हैं और यह लंबी उम्र से संबद्ध है। 

यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि सन 1985 में इण्डियन बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ ने भारत के समस्त राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को सुझाव दिया कि वे अपना अपना राजकीय पशु, पक्षी, वृक्ष एवं पुष्प चिन्हित करते हुए उसे अधिघोषित करें। भारत का राष्ट्रीय वृक्ष बरगद है। यह उड़ीसा का राज्य वृक्ष भी है। लगभग ऐसी ही स्थिति पीपल और हुलुंग की है। पीपल को बिहार और हरियाणा दोनों ने अपना राज्य वृक्ष घोषित किया है। हुलुंग विश्व भर में होलांग के नाम से प्रसिद्ध है। हुलुंग को अरुणाचल प्रदेश और असम दोनों ने अपना राज्य वृक्ष माना है।

राज्य
भारतीय राज्यों के नाम  राजकीय वृक्ष/पेड का नाम वृक्ष/पेड का वैज्ञानिक नाम
आंध्र प्रदेश नीम (Neem) अजदिरच्ता इंडिका (Azadirachta indica)
नीम भारतीय मूल का एक पर्ण- पाती वृक्ष है। यह सदियों से समीपवर्ती देशों- पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, म्यानमार (बर्मा), थाईलैंड, इंडोनेशिया, श्रीलंका आदि देशों में पाया जाता रहा है। लेकिन विगत लगभग डेढ़ सौ वर्षों में यह वृक्ष भारतीय उपमहाद्वीप की भौगोलिक सीमा को लांघ कर अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, दक्षिण पूर्व एशिया, दक्षिण एवं मध्य अमरीका तथा दक्षिणी प्रशान्त द्वीपसमूह के अनेक उष्ण और उप-उष्ण कटिबन्धीय देशों में भी पहुँच चुका है। इसका वानस्पतिक नाम Azadirachta indica है। नीम का वानस्पतिक नाम इसके संस्कृत भाषा के निंब से व्युत्पन्न है।
अरुणाचल प्रदेश हॉलोंग (Hollong) डिप्टरोकार्पस रेटसस (Dipterocarpus macrocarpu)
डिप्टरोकार्पस रेटसस, जिसे आमतौर पर होलोंग के रूप में जाना जाता है, एक बड़ा पेड़ है और शायद जीनस डिप्टरोकार्पस में सबसे अच्छी ज्ञात प्रजाति है। हालॉन्ग असम, भारत का राज्य वृक्ष है। होलोंग एक मध्यम दृढ़ लकड़ी, लकड़ी का पेड़ है। यह ऊपरी असम और अरुणाचल प्रदेश के जंगलों में स्वाभाविक रूप से बढ़ता है। हॉलोंग असम के मोरन समुदाय के लिए एक पवित्र वृक्ष है। आज हॉलोंग का उपयोग प्लाईवुड उद्योगों में किया जाता है।
असम हॉलोंग (Hollong)  डिप्टरोकार्पस रेटसस (Dipterocarpus macrocarpu)
डिप्टरोकार्पस रेटसस, जिसे आमतौर पर होलोंग के रूप में जाना जाता है, एक बड़ा पेड़ है और शायद जीनस डिप्टरोकार्पस में सबसे अच्छी ज्ञात प्रजाति है। हालॉन्ग असम, भारत का राज्य वृक्ष है। होलोंग एक मध्यम दृढ़ लकड़ी, लकड़ी का पेड़ है। यह ऊपरी असम और अरुणाचल प्रदेश के जंगलों में स्वाभाविक रूप से बढ़ता है। हॉलोंग असम के मोरन समुदाय के लिए एक पवित्र वृक्ष है। आज हॉलोंग का उपयोग प्लाईवुड उद्योगों में किया जाता है।
बिहार पीपल (Sacred fig (Peepal)) फाइकस रेलीजियोसा (Ficus religiosa)
पीपल भारत, नेपाल, श्री लंका, चीन और इंडोनेशिया में पाया जाने वाला बरगद, या गूलर की जाति का एक विशालकाय वृक्ष है जिसे भारतीय संस्कृति में महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है तथा अनेक पर्वों पर इसकी पूजा की जाती है। बरगद और गूलर वृक्ष की भाँति इसके पुष्प भी गुप्त रहते हैं अतः इसे 'गुह्यपुष्पक' भी कहा जाता है। अन्य क्षीरी (दूध वाले) वृक्षों की तरह पीपल भी दीर्घायु होता है। इसके फल बरगद-गूलर की भांति बीजों से भरे तथा आकार में मूँगफली के छोटे दानों जैसे होते हैं।
छत्तीसगढ साल (Sal) शोरिया रोबस्टा (Shorea robusta)
साल या साखू (Shorea robusta) एक द्विबीजपत्री बहुवर्षीय वृक्ष है। इसकी लकड़ी इमारती कामों में प्रयोग की जाती है। इसकी लकड़ी बहुत ही कठोर, भारी, मजबूत तथा भूरे रंग की होती है। इसे संस्कृत में अग्निवल्लभा, अश्वकर्ण या अश्वकर्णिका कहते हैं।
गोवा नारियल (Coconut) कोकोस न्यूसीफेरा (Cocos nucifera)
नारियल एक बहुवर्षी एवं एकबीजपत्री पौधा है। इसका तना लम्बा तथा शाखा रहित होता है। मुख्य तने के ऊपरी सिरे पर लम्बी पत्तियों का मुकुट होता है। ये वृक्ष समुद्र के किनारे या नमकीन जगह पर पाये जाते हैं। बांग्ला में इसे नारिकेल कहते हैं। नारियल के वृक्ष भारत में प्रमुख रूप से केरल,पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में खूब उगते हैं। महाराष्ट्र में मुंबई तथा तटीय क्षेत्रों व गोआ में भी इसकी उपज होती है।
गुजरात बरगद (Banyan) फिकस बेंघालेंसिस (Ficus benghalensis)
बरगद बहुवर्षीय विशाल वृक्ष है। इसे 'वट' और 'बड़' भी कहते हैं। यह एक स्थलीय द्विबीजपत्री एंव सपुष्पक वृक्ष है। इसका तना सीधा एंव कठोर होता है। इसकी शाखाओं से जड़े निकलकर हवा में लटकती हैं तथा बढ़ते हुए धरती के भीतर घुस जाती हैं एंव स्तंभ बन जाती हैं। इन जड़ों को बरोह या प्राप जड़ कहते हैं। इसका फल छोटा गोलाकार एंव लाल रंग का होता है। इसके अन्दर बीज पाया जाता है। इसका बीज बहुत छोटा होता है किन्तु इसका पेड़ बहुत विशाल होता है। इसकी पत्ती चौड़ी, एंव लगभग अण्डाकार होती है। इसकी पत्ती, शाखाओं एंव कलिकाओं को तोड़ने से दूध जैसा रस निकलता है जिसे लेटेक्स अम्ल कहा जाता है।
हरियाणा पीपल (Sacred fig (Peepal)) फाइकस रेलीजियोसा (Ficus religiosa)
पीपल भारत, नेपाल, श्री लंका, चीन और इंडोनेशिया में पाया जाने वाला बरगद, या गूलर की जाति का एक विशालकाय वृक्ष है जिसे भारतीय संस्कृति में महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है तथा अनेक पर्वों पर इसकी पूजा की जाती है। बरगद और गूलर वृक्ष की भाँति इसके पुष्प भी गुप्त रहते हैं अतः इसे 'गुह्यपुष्पक' भी कहा जाता है। अन्य क्षीरी (दूध वाले) वृक्षों की तरह पीपल भी दीर्घायु होता है। इसके फल बरगद-गूलर की भांति बीजों से भरे तथा आकार में मूँगफली के छोटे दानों जैसे होते हैं।
हिमाचल प्रदेश देवदार (Deodar) सेड्रस देवदारा (Cedrus deodara)
देवदार एक सीधे तने वाला ऊँचा शंकुधारी पेड़ है, जिसके पत्ते लंबे और कुछ गोलाई लिये होते हैं तथा जिसकी लकड़ी मजबूत किन्तु हल्की और सुगंधित होती है। इनके शंकु का आकार सनोबर (फ़र) से काफी मिलता-जुलता होता है। इनका मूलस्थान पश्चिमी हिमालय के पर्वतों तथा भूमध्यसागरीय क्षेत्र में है।
झारखंड साल (Sal) शोरिया रोबस्टा (Shorea robusta)
साल या साखू (Shorea robusta) एक द्विबीजपत्री बहुवर्षीय वृक्ष है। इसकी लकड़ी इमारती कामों में प्रयोग की जाती है। इसकी लकड़ी बहुत ही कठोर, भारी, मजबूत तथा भूरे रंग की होती है। इसे संस्कृत में अग्निवल्लभा, अश्वकर्ण या अश्वकर्णिका कहते हैं।
कर्नाटक चन्दन (Sandalwood) संतालम एल्बम (Santalum album)
भारतीय चंदन (Santalum album) का संसार में सर्वोच्च स्थान है। इसका आर्थिक महत्व भी है। यह पेड़ मुख्यत: कर्नाटक के जंगलों में मिलता है तथा भारत के अन्य भागों में भी कहीं-कहीं पाया जाता है। भारत के 600 से लेकर 900 मीटर तक कुछ ऊँचे स्थल और मलयद्वीप इसके मूल स्थान हैं।
केरल साल (Sal) शोरिया रोबस्टा (Shorea robusta)
साल या साखू (Shorea robusta) एक द्विबीजपत्री बहुवर्षीय वृक्ष है। इसकी लकड़ी इमारती कामों में प्रयोग की जाती है। इसकी लकड़ी बहुत ही कठोर, भारी, मजबूत तथा भूरे रंग की होती है। इसे संस्कृत में अग्निवल्लभा, अश्वकर्ण या अश्वकर्णिका कहते हैं।
मध्य प्रदेश बरगद (Banyan) फिकस बेंघालेंसिस (Ficus benghalensis)
बरगद बहुवर्षीय विशाल वृक्ष है। इसे 'वट' और 'बड़' भी कहते हैं। यह एक स्थलीय द्विबीजपत्री एंव सपुष्पक वृक्ष है। इसका तना सीधा एंव कठोर होता है। इसकी शाखाओं से जड़े निकलकर हवा में लटकती हैं तथा बढ़ते हुए धरती के भीतर घुस जाती हैं एंव स्तंभ बन जाती हैं। इन जड़ों को बरोह या प्राप जड़ कहते हैं। इसका फल छोटा गोलाकार एंव लाल रंग का होता है। इसके अन्दर बीज पाया जाता है। इसका बीज बहुत छोटा होता है किन्तु इसका पेड़ बहुत विशाल होता है। इसकी पत्ती चौड़ी, एंव लगभग अण्डाकार होती है। इसकी पत्ती, शाखाओं एंव कलिकाओं को तोड़ने से दूध जैसा रस निकलता है जिसे लेटेक्स अम्ल कहा जाता है।
महाराष्ट्र आम (Mango) मेंगीफेरा इंडिका (Mangifera indica)
आम एक प्रकार का रसीला फल होता है। इसे भारत में फलों का राजा भी बोलते हैं। इसकी मूल प्रजाति को भारतीय आम कहते हैं, जिसका वैज्ञानिक नाम मेंगीफेरा इंडिका है। आमों की प्रजाति को मेंगीफेरा कहा जाता है। इस फल की प्रजाति पहले केवल भारतीय उपमहाद्वीप में मिलती थी, इसके बाद धीरे धीरे अन्य देशों में फैलने लगी। इसका सबसे अधिक उत्पादन भारत में होता है। यह भारत, पाकिस्तान और फिलीपींस में राष्ट्रीय फल माना जाता है और बांग्लादेश में इसके पेड़ को राष्ट्रीय पेड़ का दर्जा प्राप्त है।
मणिपुर तोना (Uningthou) तोना सिलियाटा (Phoebe hainesiana)
फोबे हाइनेसियाना भारत के मूल निवासी परिवार लॉरेसी में पेड़ की एक प्रजाति है। कोमोन के नामों में अनिंगथौ और बोन्सम शामिल हैं। यह मणिपुर का राज्य वृक्ष है।
मेघालय सफेद सागौन (White teak) गमेलिना आर्बोरिया (Gmelina arborea)
गमेलिना आर्बोरिया, जिसे स्थानीय रूप से गमर के रूप में जाना जाता है, परिवार लामियासी में एक तेजी से बढ़ने वाला पर्णपाती पेड़ है।
मिजोरम नागकेशर (Iron wood) मेसुआ फेरी (Mesua ferrea)
आयरनवुड कई लकड़ियों या पौधों के लिए एक सामान्य नाम है जिनकी कठोरता के लिए एक प्रतिष्ठा है, या विशेष रूप से एक लकड़ी का घनत्व जो पानी से भारी है, हालांकि अंग्रेजी में आयरनवुड नाम का उपयोग एक ऐसे पेड़ का संकेत दे सकता है या नहीं कर सकता है जो इस तरह की भारी लकड़ी का उत्पादन करता है।
नागालैंड एल्डर (Alder) अलनस नेप्लेन्सिस (Alnus nepalensis)
एल्डर बर्च परिवार बेतुलसी से संबंधित फूल पौधों के एक जीनस का सामान्य नाम है। जीनस में लगभग 35 प्रजातियों के पेड़ और झाड़ियाँ होती हैं, जो कुछ बड़े आकार तक पहुँचती हैं, जो पूरे उत्तरी समशीतोष्ण क्षेत्र में वितरित की जाती हैं, कुछ प्रजातियों को मध्य अमेरिका, साथ ही उत्तरी और दक्षिणी एंडीज़ में फैलाया जाता है।
ओडिशा गूलर (Sacred fig (Ashwattha))  फिकस कुल (Ficus racemosa)
 फिकस कुल (Ficus) का एक विशाल वृक्ष है। इसे संस्कृत में उडुम्बर, बांग्ला में डुमुर, मराठी में उदुम्बर, गुजराती में उम्बरा, अरबी में जमीझ, फारसी में अंजीरे आदमसकी शाखाओं में से फल उत्पन्न होते हैं। फल गोल-गोल अंजीर की तरह होते हैं और इसमें से सफेद-सफेद दूध निकलता है। इसके पत्ते लभेड़े के पत्तों जैसे होते हैं। नदी के उदुम्बर के पत्ते और फूल गूलर के पत्तों-फल से छोटे होते हैं।
पंजाब शीशम (Indian rosewood) डलबर्जिया सिशू (Dalbergia sissoo)
शीशम भारतीय उपमहाद्वीप का वृक्ष है। इसकी लकड़ी फर्नीचर एवं इमारती लकड़ी के लिये बहुत उपयुक्त होती है। शीशम बहुपयोगी वृक्ष है। इसकी लकड़ी, पत्तियाँ, जड़ें सभी काम में आती हैं। लकड़ियों से फर्नीचर बनता है। पत्तियाँ पशुओं के लिए प्रोटीनयुक्त चारा होती हैं। जड़ें भूमि को अधिक उपजाऊ बनाती हैं। पत्तियाँ व शाखाएँ वर्षा-जल की बूँदों को धीरे-धीरे जमीन पर गिराकर भू-जल भंडार बढ़ाती हैं।
राजस्थान खेजड़ी (Khejri) प्रोसोपीस कीनेरार्या (Prosopis cineraria)
रोहिड़ा या टेकोमेला उण्डुलता राजस्थान का राजकीय पुष्प (1983 में घोषित) है। यह मुख्यतः राजस्थान के थार मरुस्थल और पाकिस्तान मे पाया जाता है। रोहिड़ा का वृक्ष राजस्थान के शेखावटी व मारवाड़ अंचल में इमारती लकड़ी का मुख्य स्रोत है। यह मारवाड़ टीक के नाम से भी जाना जाता है। शुष्क व अर्ध शुष्क क्षेत्रों में पाया जाने वाला यह वृक्ष पतझड़ी प्रकार का है। रेत के धोरों के स्थिरीकरण के लिए यह वृक्ष बहुत उपयोगी है।
सिक्किम बुरांस या बुरुंश (Pink rhododendron) रोडोडेंड्रॉन (Rhododendron)
बुरांस या बुरुंश (रोडोडेंड्रॉन / Rhododendron) सुन्दर फूलों वाला एक वृक्ष है। बुरांस का पेड़ उत्तराखंड का राज्य वृक्ष है, तथा नेपाल में बुरांस के फूल को राष्ट्रीय फूल घोषित किया गया है। गर्मियों के दिनों में ऊंची पहाड़ियों पर खिलने वाले बुरांस के सूर्ख फूलों से पहाड़ियां भर जाती हैं। हिमाचल प्रदेश में भी यह पैदा होता है।
तमिलनाडु ताड़ (Palmyra palm) बोराशस (Borassus)
ताड़ एकबीजपत्री वृक्ष है। इसकी 6 प्रजातियाँ होती हैं। यह अफ्रीका, एशिया तथा न्यूगीनी का मूल-निवासी है। इसका तना सीधा, सबल तथा शाखाविहिन होता है। ऊपरी सिरे पर कई लम्बी वृन्त तथा किनारे से कटी फलकवाली पत्तियाँ लगी होती हैं। इसका फल काष्ठीय गुठलीवाला होता है। ताड़ के वृक्ष 30 मीटर तक बढ़ सकते हैं।
तेलंगाना खेजड़ी या शमी (Jammi) प्रोसोपीस कीनेरार्या (Prosopis cineraria)
खेजड़ी या शमी एक वृक्ष है जो थार के मरुस्थल एवं अन्य स्थानों में पाया जाता है। यह वहां के लोगों के लिए बहुत उपयोगी है। छोंकरा (उत्तर प्रदेश), जंड (पंजाबी), कांडी (सिंध), वण्णि (तमिल), शमी, सुमरी (गुजराती) आते हैं। इसका व्यापारिक नाम कांडी है। यह वृक्ष विभिन्न देशों में पाया जाता है जहाँ इसके अलग अलग नाम हैं। अंग्रेजी में यह प्रोसोपिस सिनेरेरिया नाम से जाना जाता है। खेजड़ी का वृक्ष जेठ के महीने में भी हरा रहता है। ऐसी गर्मी में जब रेगिस्तान में जानवरों के लिए धूप से बचने का कोई सहारा नहीं होता तब यह पेड़ छाया देता है। जब खाने को कुछ नहीं होता है तब यह चारा देता है, जो लूंग कहलाता है।
त्रिपुरा अगर (Agar) एक्वलारिया अगलोचा (Aquillaria agallocha)
Agarwood, aloeswood, eaglewood या gharuwood धूप में सुगंधित गहरे रंग की लकड़ी, इत्र और छोटी नक्काशी है। यह जलीय वृक्षों के दिल की लकड़ी में बनता है जब वे एक प्रकार के सांचे (फियालोफोरा पैरासाइटिका) से संक्रमित हो जाते हैं। संक्रमण से पहले, हार्टवुड गंधहीन, अपेक्षाकृत हल्के और हल्के रंग का होता है।
उत्तर प्रदेश अशोक (Ashoka) सरका असोका (Saraca asoca)
अशोक को बंगला में अस्पाल, मराठी में अशोक, गुजराती में आसोपालव तथा देशी पीला फूलनों, सिंहली में होगाश तथा लैटिन में जोनेशिया अशोका (Jonasia Ashoka) अथवा सराका-इंडिका (Saraca Indica) कहते हैं।
उत्तराखंड लाली गुरांस (Burans) रोडोडेंड्रोन अर्बोरम (Rhododendron arboreum)
रोडोडेंड्रोन आर्बोरम, ट्री रोडोडेंड्रोन, जिसे बुरान या लालिगुरान या केवल नेपाल में गुरान के नाम से भी जाना जाता है, एक सदाबहार झाड़ी या छोटा पेड़ है जिसमें चमकदार लाल फूल दिखाई देते हैं। यह भूटान, चीन, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान और थाईलैंड में पाया जाता है। रोडोडेंड्रोन आर्बोरम नेपाल का राष्ट्रीय फूल है; भारत में यह उत्तराखंड का राज्य वृक्ष है और नागालैंड का राज्य पुष्प है।
पश्चिम बंगाल चितौन (Alstonia) एल्सटोनिया स्कोलरिस (Alstonia scholaris)
चितौन या सातिआन (एल्सटोनिया), एपोसाइनेसी कुल के सदाबहार वृक्ष और झाड़ियों का एक व्यापक वंश (जीनस) है। इसे वनस्पतिशास्त्री रॉबर्ट ब्राउन द्वारा 1811 में एडिनबर्ग के वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर चार्ल्स एल्सटन (1685-1760) के नाम पर नामित किया गया था।
केंद्र शासित प्रदेश
अंडमान व नोकोबार द्वीप समूह अण्डमान रेडवूड (Andaman redwood) टेरोकार्पस डालबेर्जविडेस (Pterocarpus dalbergioides)
Pterocarpus dalbergioides, अंडमान पडुक, अंडमान रेडवुड या ईस्ट इंडियन महोगनी, फैबसीए परिवार की एक प्रजाति है। इसे कभी-कभी "नर्रा" कहा जाता है, लेकिन यह सिर्फ एक सामान्य शब्द है जिसका उपयोग कई पर्टोकार्पस प्रजातियों में से किसी के लिए किया जाता है। यह अंडमान द्वीप समूह का मूल निवासी है।
चंडीगढ़ आम का पेड़ (Mango Tree) मैंगिफेरा इंडिका (Mangifera Indica)
आम अत्यंत उपयोगी, दीर्घजीवी, सघन तथा विशाल वृक्ष है, जो भारत में दक्षिण में कन्याकुमारी से उत्तर में हिमालय की तराई तक (3,000 फुट की ऊँचाई तक) तथा पश्चिम में पंजाब से पूर्व में आसाम तक, अधिकता से होता है।
दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव अभी तक नामित नहीं किया गया है
दिल्ली अभी तक नामित नहीं किया गया है
जम्मू और कश्मीर चिनार (Chinar) प्लैटैनस ओरिएंटलिस (Platanus orientalis)
प्लैटैनस प्राच्यलिस, ओल्ड वर्ल्ड गूलर या ओरिएंटल प्लेन, प्लैटैनेसी परिवार का एक बड़ा, पर्णपाती पेड़ है, जो 30 मीटर (98 फीट) या उससे अधिक तक बढ़ रहा है, और इसकी लंबी उम्र और ताज के लिए जाना जाता है। गिरने में इसकी गहरी हरी पत्तियां रक्त लाल, एम्बर और पीले रंग में बदल सकती हैं।
लद्दाख अभी तक नामित नहीं किया गया है
लक्षद्वीप नागदामिनी (Bread fruit) आर्टोकार्पस अल्टिलिस (Artocarpus altilis)
ब्रेडफ्रूट (Artocarpus altilis) शहतूत और कटहल (Artocarpus heterophyllus) परिवार (Moraceae) में फूल वाले वृक्षों की एक प्रजाति है, जो माना जाता है कि न्यू गिनी, मालुकु द्वीप और फिलीपींस में उत्पन्न होने वाले Artocarpus Camansi का एक घरेलू वंशज है।
पुदुचेरी बिल्व (Bael fruit tree) ऐग्ले मार्मेलोस (Aegle marmelos)
बिल्व, बेल या बेलपत्थर, भारत में होने वाला एक फल का पेड़ है। इसे रोगों को नष्ट करने की क्षमता के कारण बेल को बिल्व कहा गया है। इसके अन्य नाम हैं-शाण्डिल्रू (पीड़ा निवारक), श्री फल, सदाफल इत्यादि। इसका गूदा या मज्जा बल्वकर्कटी कहलाता है तथा सूखा गूदा बेलगिरी। बेल के वृक्ष सारे भारत में, विशेषतः हिमालय की तराई में, सूखे पहाड़ी क्षेत्रों में ४००० फीट की ऊँचाई तक पाये जाते हैं।

अब संबंधित प्रश्नों का अभ्यास करें और देखें कि आपने क्या सीखा?

राजकीय वृक्ष/पेड से संबंधित प्रश्न उत्तर 🔗

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राजकीय वृक्ष प्रश्नोत्तर (FAQs):

चीड़ के पेड़ आमतौर पर शंकुधारी जंगलों में पाए जाते हैं। इन वनों की विशेषता चीड़ की विभिन्न प्रजातियों सहित शंकुधारी सदाबहार पेड़ों का प्रभुत्व है। शंकुधारी वन ठंडी जलवायु वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जैसे उत्तरी अमेरिका के उत्तरी भाग, यूरोप और एशिया।

टैगा घने जंगल हैं। शंकुधारी पेड़, जैसे स्प्रूस, पाइन और देवदार, आम हैं। शंकुधारी पेड़ों में चौड़ी पत्तियों के बजाय सुइयां होती हैं, और उनके बीज सुरक्षात्मक, लकड़ी के शंकु के अंदर उगते हैं।

यूकेलिप्टस के पेड़ मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया में बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। वे ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासी हैं और वहां की पर्यावरणीय परिस्थितियों और जलवायु के लिए अच्छी तरह से अनुकूलित हैं।

नीम बहुतायत में पाया जाने वाला पेड़ है। यह औषधीय गुणों से भरपूर है, इसलिए आम जीवन में इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। इसकी पत्तियों से लेकर बीज तक सब कुछ बहुत उपयोगी है। त्वचा, पेट, आंखों और वायरल समस्याओं में इसका प्रयोग अद्भुत है।

सदाबहार चंदन के लिए प्रसिद्ध राज्यों में मुख्य रूप से तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक शामिल हैं। इन राज्यों में सदाबहार चंदन के पेड़ पाए जाते हैं और यहीं से इसकी विशेष सुगंध और उपयोगी गुण निकलते हैं।

  Last update :  Sat 18 Mar 2023
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